बौद्ध धर्म गुरू ने सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी को लेकर दायर की याचिका, कहा-ज्ञानवापी ना तो मस्जिद है ना ही मंदिर, वह बौद्ध मठ है

KNEWS DESK…. उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी मामले में अब एक नया मोड़ आ गया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के द्वारा ASI सर्वे की इजाजत दी कि इधर बौद्ध धर्म गुरु की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर दी गई.और उसमें उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी ना तो मस्जिद है ना ही मंदिर, वह बौद्ध मठ है.

दरअसल आपको बता दें कि ज्ञानवापी मामले कल ही इलाहाबाद हाईकोर्ट की तरफ से ASI सर्वे को लेकर फैसला सुनाया गया है जिसके बाद मुस्लिम पक्ष की तरफ से  इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है. तो वहीं इसी बीच ज्ञानवापी मामले को लेकर एक नया मोड़ देखने को मिला औऱ इस मोड़ के आने से देश में मानो भूचाल सा आ गया हो.बौद्ध धर्म के गुरू ने सुमित रतन भंते ने सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी मामले पर एक याचिका दायर की है जिसमें उन्होंने कहा है कि ज्ञानवापी ना तो मस्जिद है ना ही मंदिर, वह बौद्ध मठ है. और आगे उन्होनें कहा कि बौद्ध मठ को लेकर सर्वे कराए जाने की मांग.

ज्ञानवापी को लेकर बौद्ध धर्म गुरू ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका 

जानकारी के लिए बता दें कि बौद्ध धर्म के गुरू सुमित रतन भंते ने कहा कि   देश में तमाम ऐसे मंदिर हैं जो बौद्ध मठों को तोड़कर बनाए गए हैं. बौद्ध धर्म गुरु सुमित रतन भंते की तरफ से याचिका की गई. सुमित रतन भंते ने देश में  बौद्ध मठों की खोज शुरू की है.  जैन बौद्ध मठों को तोड़कर मंदिर या अन्य धार्मिक स्थल बनाए गए हैं उनकी खोज शुरू हुई. सभी मंदिरों और मस्जिदों को उनके मूल स्वरूप में आना चाहिए. जहां-जहां बौद्ध मठ से उनका स्वरूप बदल दिया गया है. बौद्ध मठों को अपने मूल स्वरूप में आना चाहिए. बौद्ध धर्म के मानने वालों की संख्या भी यही चाहती है. बड़ी संख्या में बौद्ध धर्म को मानने वाले भारत में रहते हैं.

हिन्दू धर्म से पुराना बताया बौद्ध धर्म- सुमित रतन भंते

बता दें कि सुमित रतन ने  आगे कहा है कि केदारनाथ, बद्रीनाथ सहित कई अन्य मंदिरों को लेकर भी याचिका दायर करेंगे. सनातन बौद्ध धर्म से सबसे पुराना है. ज्ञानवापी में हो रहे ASI को लेकर कहा कि कि अगर ASI की टीम सही से सर्वे सरती है तो वहां पर मंदिर नहीं बल्कि बौद्ध मठ पाया जाएगा. और बौद्ध मठ पाया जाए तो वो हमें सौंप दें. बौद्ध धर्म गुरु के मुताबिक इस्लाम 1500 साल पहले आया और हिंदू धर्म 1200 साल पहले आया है. लेकिन बौद्ध धर्म ढाई हजार साल पहले का है. देश में आपसी फूट की जो परंपरा शुरू हुई है, वह उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि बौद्ध मठों का भी सर्वेक्षण करके उन्हें बौद्ध समाज को वापस करना चाहिए. अगर सही फैसला होता तो वहां पर बौद्ध मठ होता.

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