बसपा का नया ‘प्लान एम’, मुसलमानों को जोड़ने के लिए बहुजन समाज पार्टी ने शुरू की नई रणनीति

KNEWS DESK- लोकसभा चुनाव के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती की नाराजगी से जाहिर हुआ था कि वह मुसलमानों को लेकर भविष्य के चुनावों में बेहद सतर्क रहेंगी। लेकिन उत्तर प्रदेश के सियासी परिदृश्य में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस द्वारा मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी के बाद, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। पार्टी ने अब मुसलमानों को अपनी पार्टी में जोड़ने के लिए एक नया अभियान शुरू किया है, जिसे “प्लान एम” नाम दिया गया है।

“प्लान एम” का आगाज

सोमवार से बहुजन समाज पार्टी ने सेक्टर और मंडल की कमेटियों के माध्यम से मुसलमानों को अपनी पार्टी से जोड़ने के लिए एक व्यापक अभियान शुरू किया है। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि दलित और मुसलमान के गठजोड़ से बसपा आने वाले उपचुनावों और 2027 के विधानसभा चुनावों में एक बड़ा सियासी बदलाव ला सकती है।

मुस्लिम नेताओं की भूमिका

इस योजना के तहत पार्टी ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न सेक्टरों और मंडलों में मुस्लिम नेताओं को जिम्मेदारियां सौंप दी हैं। शम्सुद्दीन राइनी और मोहम्मद अकरम जैसे पार्टी के मुस्लिम चेहरों को आगे कर, बसपा ने मुसलमानों से संपर्क साधने की जिम्मेदारी दी है। यह कदम पार्टी के लिए एक नई दिशा की ओर संकेत करता है, जिसमें मुस्लिम नेताओं को प्रमुख भूमिका में रखा गया है।

पिछली चुनावी हार की समीक्षा

पिछले लोकसभा चुनाव में, बसपा ने 35 मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा था, लेकिन पार्टी एक बार फिर 2014 की तरह शून्य पर सिमट गई। इस चुनाव में बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी ही नहीं, बल्कि अन्य जातियों के प्रत्याशी भी हार गए थे। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन ने मुस्लिम मतदाताओं को अपने साथ जोड़ने में सफलता पाई, जिससे मायावती को एक बड़ा झटका लगा था।

सियासी समीकरण और रणनीति

मायावती ने लोकसभा चुनावों के परिणाम के बाद मुसलमानों को बहुत सोच-समझ कर मौका देने की बात की थी, जिससे सपा और कांग्रेस ने मुस्लिम वोट बैंक में और भी मजबूती से सेंधमारी की। अब बहुजन समाज पार्टी ने “प्लान एम” के तहत मुसलमानों को शामिल करने की अपनी रणनीति को एक बार फिर से तैयार किया है।

पार्टी का मानना है कि दलित और मुस्लिम समुदाय के साथ गठजोड़ करके, वे आगामी विधानसभा उपचुनावों और 2027 के विधानसभा चुनावों में मजबूत स्थिति में होंगे। इस रणनीति के तहत, पार्टी ने अपने संगठनात्मक ढांचे में मुसलमानों की सहभागिता को बढ़ावा देने के लिए एक सशक्त योजना तैयार की है।

ये भी पढ़ें-  अक्षय कुमार की नई फिल्म ‘भूत बंगला’ की अनाउंसमेंट, 14 साल बाद प्रियदर्शन के साथ वापसी

About Post Author

Leave a Reply

Your email address will not be published.