डिजिटल डेस्क- बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे आने के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने संगठनात्मक अनुशासन को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। पार्टी ने शनिवार को बड़े कदम के तहत वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह को तत्काल प्रभाव से पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया। यह फैसला उस समय आया है जब बिहार में एनडीए ने ऐतिहासिक बहुमत से जीत दर्ज की है, लेकिन कई सीटों पर बागी नेताओं और अंदरूनी कलह की वजह से नुकसान भी उठाना पड़ा। पार्टी सूत्रों के अनुसार, आरके सिंह के खिलाफ लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने पार्टी की आधिकारिक लाइन के खिलाफ जाकर बयान दिए और कई जगहों पर पार्टी उम्मीदवारों के लिए माहौल बिगाड़ने की कोशिश की। आरोप है कि अपने क्षेत्र सहित कई इलाकों में उन्होंने ऐसे संकेत दिए जिससे बीजेपी और गठबंधन उम्मीदवारों को नुकसान पहुंचा।
पार्टी ने दिया सख्त संदेश
सूत्र बताते हैं कि शीर्ष नेतृत्व ने पूरे मामले की समीक्षा की और इसे गंभीर अनुशासनहीनता मानते हुए कार्रवाई का फैसला लिया। यह कदम स्पष्ट संकेत देता है कि चुनाव जीतने के बावजूद पार्टी अपने संगठनात्मक ढांचे में किसी भी प्रकार की बगावत या अनुशासनहीनता को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है। हाईकमान का मानना है कि अंदरूनी मतभेदों के कारण कई सीटें हाथ से निकल गईं, इसलिए भविष्य में ऐसी स्थिति को रोकना बेहद जरूरी है।
केन्द्र में मंत्री रह चुके हैं आरके सिंह
आरके सिंह को लेकर यह कार्रवाई इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि वह पार्टी के दिग्गज नेताओं में गिने जाते हैं। वह केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके हैं और प्रशासनिक सख्ती एवं कार्यकुशलता के लिए उनकी पहचान रही है। ऐसे वरिष्ठ नेता पर निलंबन की गाज गिरना यह दर्शाता है कि बीजेपी नेतृत्व अपने संदेश को लेकर बेहद स्पष्ट है कि पार्टी लाइन से हटकर काम करने वालों पर किसी भी स्तर पर नरमी नहीं बरती जाएगी।