KNEWS DESK- कलकत्ता हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट से भी भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार यानी आज कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली भाजपा की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसने पार्टी को लोकसभा के दौरान आदर्श आचार संहिता का कथित उल्लंघन करने वाले विज्ञापन जारी करने से रोकने वाले एकल-न्यायाधीश के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की अवकाश पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
बेंच ने ये भी कहा कि हाईकोर्ट के आदेश में स्पष्ट कहा गया कि टीएमसी ने चुनाव आयोग के पास भी शिकायत की थी। कोर्ट ने कहा कि आखिर चुनाव आयोग ने अब तक क्या किया? क्या आदेश के बाद भी आयोग ने कोई कदम उठाया? हमें तो कुछ पता ही नहीं चला। टीएमसी ने 4, 5, 10 और 12 मई के विज्ञापन पर लिखित शिकायत की थी।
सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया, विज्ञापन अपमानजनक है। पीठ द्वारा मामले पर विचार करने में अनिच्छा व्यक्त करने के बाद भाजपा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पीएस पटवालिया ने मामले को वापस लेने की अनुमति मांगी। मामला वापस लिया गया मानकर खारिज कर दिया गया।
22 मई को, उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने कहा था कि वह एकल-न्यायाधीश पीठ द्वारा पारित अंतरिम आदेश के खिलाफ अपील पर विचार करने के इच्छुक नहीं है।एकल-न्यायाधीश पीठ ने 20 मई को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 4 जून तक आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले विज्ञापन प्रकाशित करने से रोक दिया था, जिस दिन लोकसभा चुनाव परिणाम घोषित होने वाले हैं। अदालत ने भगवा पार्टी को पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) द्वारा उल्लिखित विज्ञापनों को प्रकाशित करने से भी रोक दिया था, जिसमें उसकी याचिका में उसके और उसके कार्यकर्ताओं के खिलाफ असत्यापित आरोपों का दावा किया गया था।
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