रेखा शर्मा की राजनीतिक यात्रा और पार्टी से जुड़ाव
रेखा शर्मा ने राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष के रूप में लंबे समय तक सेवा दी है और वे कई दशकों से भाजपा से जुड़ी रही हैं। उनके अनुभव और संगठन में योगदान के कारण उनकी उम्मीदवारी को भाजपा ने मजबूती से प्रस्तुत किया। रेखा शर्मा का नाम अचानक इस चुनावी दौड़ में आना राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया।
चुनाव के मद्देनजर भाजपा के कई वरिष्ठ नेता इस सीट के लिए दौड़ में थे, जिनमें प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली, पूर्व सांसद संजय भाटिया, पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई, और पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल शामिल थे। हालांकि, पार्टी ने रेखा शर्मा को ही उम्मीदवार के रूप में चयनित किया, जो एक चौंकाने वाला निर्णय था।
राज्यसभा सीट के लिए चुनाव की तिथि और स्थिति
यह सीट कृष्ण लाल पंवार के कैबिनेट मंत्री बनने के कारण खाली हुई है, और 20 दिसंबर को इस पर चुनाव होने हैं। राज्यसभा के लिए रेखा शर्मा की उम्मीदवारी की संभावना पहले से मजबूत दिख रही है।
कांग्रेस का उम्मीदवार न उतारने का निर्णय
राज्यसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार न उतारने का फैसला किया है। हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस के पास केवल 37 विधायक हैं, जबकि भाजपा के पास 48 विधायक और तीन निर्दलीय विधायकों का समर्थन है। कांग्रेस के पास इतने कम विधायक होने के कारण पार्टी ने इस चुनाव में भाग न लेने का निर्णय लिया है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पहले ही यह बयान दिया था कि अगर राज्यसभा के लिए दो सीटें होतीं, तो वे अपना उम्मीदवार जरूर उतारते, लेकिन इस बार कांग्रेस ने अपनी रणनीति बदलते हुए उम्मीदवार नहीं उतारा है। यह दूसरी बार है जब कांग्रेस ने राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारा है। इससे पहले, जब किरण चौधरी को राज्यसभा के लिए चुना गया था, तब भी कांग्रेस ने उम्मीदवार नहीं उतारा था।
रेखा शर्मा का राज्यसभा उपचुनाव में निर्विरोध विजयी होना तय माना जा रहा है, क्योंकि भाजपा को विधानसभा में स्पष्ट बहुमत प्राप्त है और कांग्रेस ने उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला लिया है। यह चुनाव भाजपा के लिए एक और राजनीतिक जीत साबित हो सकता है।
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