KNEWS DESK- बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। जब से बिहार सरकार की ओर से किए गए सर्वे की रिपोर्ट जारी हो गई है तब से राजनीति गरमा गई है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) राज्य की कुल आबादी का 63 प्रतिशत हैं। इसको लेकर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई है।
जीतन राम मांझी ने की ये मांग
इस पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने बयान दिया है। उन्होंने एक्स पर एससी-एसटी, ओबीसी और ईबीसी के लिए बड़ी मांग कर दी। उन्होंने कहा कि सरकार राज्य में आबादी के प्रतिशत के हिसाब से सरकारी नौकरी/स्थानीय निकायों में आरक्षण लागू करें।
‘उनके साथ हकमारी की जा रही है’
जीतन राम मांझी ने लिखा कि ‘बिहार में जाति आधारित गणना की रिपोर्ट आ चुकी है। सूबे के SC/ST,OBC,EBC की आबादी तो बहुत है पर उनके साथ हकमारी की जा रही है। मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आग्रह करता हूं कि राज्य में आबादी के प्रतिशत के हिसाब से सरकारी नौकरी/स्थानीय निकायों में आरक्षण लागू करें, वही न्याय संगत होगा।
बिहार में जाति आधारित गणना की रिपोर्ट आ चुकी है।सूबे के SC/ST,OBC,EBC की आबादी तो बहुत है पर उनके साथ हक़मारी की जा रही है।
मैं माननीय @NitishKumar जी से आग्रह करता हूं कि राज्य में आबादी के प्रतिशत के हिसाब से सरकारी नौकरी/स्थानीय निकायों में आरक्षण लागू करें,वही न्याय संगत होगा pic.twitter.com/W5frVBOsJJ— Jitan Ram Manjhi (@jitanrmanjhi) October 2, 2023
बता दें कि बिहार के विकास आयुक्त विवेक सिंह द्वारा जारी जाति आधारित गणना आंकड़ों के अनुसार, राज्य की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है, जिसमें से 36 प्रतिशत के साथ ईबीसी सबसे बड़ा सामाजिक वर्ग है। इसके बाद ओबीसी 27.13 प्रतिशत हैं। सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि ओबीसी समूह में शामिल यादव समुदाय प्रदेश की कुल आबादी का 14.27 प्रतिशत है। राज्य के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी इसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। राज्य में जनसंख्या के मामले में यह समुदाय सबसे अधिक है. वहीं, बिहार सरकार ने राज्य में जाति आधारित गणना का आदेश पिछले साल तब दिया गया था जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया था कि वह आम जनगणना के हिस्से के रूप अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य जातियों की गणना नहीं कर पाएगी।
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