KNEWS DESK- कांग्रेस सांसद और वरिष्ठ नेता राहुल गांधी की सुरक्षा को लेकर बड़ा मामला सामने आया है। CRPF वीवीआईपी सुरक्षा प्रमुख सुनील जून ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी को पत्र लिखकर गंभीर सुरक्षा चूक पर चिंता जताई है। इस पत्र में राहुल गांधी पर बार-बार सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने के आरोप लगाए गए हैं, जिससे उनकी सुरक्षा को खतरा बताया गया है।
राहुल गांधी Z+ with ASL (Advance Security Liaison) कैटेगरी की सुरक्षा प्राप्त करने वाले चुनिंदा नेताओं में से एक हैं। इसके अंतर्गत उनके लिए विशेष सुरक्षा प्रबंध किए जाते हैं, जिनमें सशस्त्र सुरक्षा, बुलेटप्रूफ कार, और पूर्व-योजना के अनुसार सुरक्षा व्यवस्था शामिल होती है।
लेकिन CRPF के मुताबिक, पिछले 9 महीनों में राहुल गांधी 6 बार बिना सूचना दिए विदेश यात्रा पर गए, जो सुरक्षा प्रोटोकॉल का स्पष्ट उल्लंघन है।
CRPF ने पत्र में राहुल गांधी के 6 विदेश दौरों को चिन्हित किया है जहां उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों को सूचना नहीं दी-
30 दिसंबर 2024 – 9 जनवरी 2025: इटली दौरा (नया साल मनाने)
12 – 17 मार्च 2025: वियतनाम दौरा
17 – 23 अप्रैल 2025: दुबई दौरा
11 – 18 जून 2025: कतर (दोहा) दौरा
25 जून – 6 जुलाई 2025: लंदन दौरा
4 – 8 सितंबर 2025: मलेशिया दौरा
इन सभी विदेश यात्राओं के लिए सुरक्षा एजेंसियों को न तो पूर्व सूचना दी गई, न ही योजना साझा की गई, जबकि Z+ सुरक्षा वाले किसी भी वीआईपी को विदेश जाने से कम से कम 15 दिन पहले सूचना देना अनिवार्य है।
CRPF वीवीआईपी सुरक्षा प्रमुख सुनील जून द्वारा 10 सितंबर को भेजे गए पत्र में आरोप लगाया गया है कि राहुल गांधी बार-बार सुरक्षा मानकों को नजरअंदाज कर रहे हैं। पत्र में कहा गया है “राहुल गांधी की सुरक्षा संवेदनशील है। Z+ with ASL प्रोटेक्शन के बावजूद वे कई बार बिना जानकारी विदेश यात्रा कर चुके हैं। इससे एजेंसियों को काम में परेशानी और उनकी सुरक्षा में जोखिम उठाना पड़ा है।”
इसके अलावा, पत्र में येलो बुक प्रोटोकॉल के उल्लंघन का भी जिक्र किया गया है – यह भारत सरकार द्वारा तैयार किया गया एक विशेष दिशानिर्देश होता है जो वीवीआईपी सुरक्षा के संचालन के लिए तैयार किया गया है।
सीआरपीएफ ने इस पत्र के माध्यम से मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी दोनों से भविष्य में सुरक्षा प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन करने की अपील की है। पत्र में स्पष्ट किया गया है कि इस तरह की बार-बार की चूक से उनकी जान को गंभीर खतरा हो सकता है, और इससे राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठते हैं।