knews desk, महात्मा गांधी से जुड़े तथ्यों के बाद अब NCERT की नई किताब में देश के पहले शिक्षा मंत्री में देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को लेकर भी बदलाव हुआ है। जानकारी के मुताबिक 11th वीं क्लास की पॉलिटिकल साइंस की नई किताब में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का नाम हटा दिया गया है। इतना ही नहीं जम्मू कश्मीर को लेकर भी किताबों में बड़ा बदलाव किया गया है। नई किताबों में जम्मू-कश्मीर और आर्टिकल 370 से जुड़ी कुछ जानकारी भी हटाई गई है। द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक 11वीं क्लास की पुरानी पॉलिटिकल साइंस की किताब के पहले चैप्टर में एक पैराग्राफ था जिसमें मौलाना अबुल कलाम आजाद का संविधान को लेकर एक लेख था जिसे हटा दिया गया है।
कौन थे मौलाना अबुल कलाम आज़ाद?
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद देश के पहले शिक्षा मंत्री थे। उन्होंने 1946 में संविधान सभा के चुनावों में कांग्रेस का नेतृत्व किया था। बता दें कि इसी सभा ने संविधान का मसौदा तैयार किया था। 14 साल तक के सभी बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य प्राइमरी एजुकेशन जैसे कई सामाजिक सुधारों में भी उनकी अहम भूमिका रही। अबुल कलाम जामिया मिलिया इस्लामिया के अलावा कई भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों, भारतीय विज्ञान संस्थान और स्कूल ऑफ़ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर के प्रमुख संस्थापक सदस्य भी थे। बता दें कि “केंद्र सरकार ने हाल ही में मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप बंद करने का भी ऐलान किया था। यह फेलोशिप 2009 में देश के सभी धार्मिक अल्पसंख्यक छात्रों के लिए शुरू की गई थी।”
क्या-क्या हटाया गया?
- नाथूराम गोडसे पुणे का ब्राह्मण था।
- गोडसे एक चरमपंथी हिंदू अखबार का संपादक था। गोडसे ने गांधीजी को ‘मुसलमानों का तुष्टिकरण करने वाला’ बताया था।
- गांधी उन लोगों द्वारा विशेष रूप से नापसंद थे जो चाहते थे कि हिंदू बदला लें या जो चाहते थे कि भारत हिंदुओं के लिए एक देश बने, ठीक वैसे ही जैसे पाकिस्तान मुसलमानों के लिए था।
- हिंदू-मुस्लिम एकता के उनके दृढ़ प्रयास ने हिंदू चरमपंथियों को इतना उकसाया कि उन्होंने गांधी जी की हत्या के कई प्रयास किए।
- गांधीजी की मृत्यु का देश में साम्प्रदायिक स्थिति पर बड़ा प्रभाव पड़ा। भारत सरकार ने साम्प्रदायिक नफरत फैलाने वाले संगठनों पर नकेल कसी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठनों पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया।