डिजिटल डेस्क- बांग्लादेश की राजनीति में बड़ा भूचाल ला देने वाला फैसला बुधवार को आया, जब इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने देश की अपदस्थ पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को फांसी की सजा सुनाई। कोर्ट ने हसीना को जुलाई विद्रोह के दौरान निहत्थे नागरिकों पर गोली चलवाने का दोषी ठहराया। यह मामला लंबे समय से चर्चा में था और हसीना के खिलाफ 1400 से अधिक आरोप दर्ज थे। सरकार के वकील ने स्पष्ट रूप से कहा था कि देशहित में हसीना को कठोरतम सजा मिलनी चाहिए। कोर्ट ने निर्णय सुनाते समय बांग्लादेशी मीडिया में वायरल वह ऑडियो भी सार्वजनिक किया, जिसमें हसीना कथित तौर पर पुलिस प्रमुख को प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का निर्देश देती सुनाई देती हैं। इस ऑडियो की सत्यता की पुष्टि होने के बाद मामले में उनके खिलाफ कार्रवाई और तेज हो गई थी। फैसले में मानवाधिकार आयोग की उस रिपोर्ट का भी उल्लेख है जिसमें जुलाई विद्रोह को बांग्लादेश के इतिहास की सबसे क्रूर घटनाओं में से एक बताया गया था।
458 पन्नों का विस्तृत फैसला
ICT ने शेख हसीना के खिलाफ 458 पन्नों का विस्तृत फैसला जारी किया है। अदालत ने कहा कि जुलाई 2024 में हुए छात्र विद्रोह के दौरान जिन लोगों की मौत हुई, उसके लिए प्रत्यक्ष रूप से हसीना जिम्मेदार थीं। ट्रिब्यूनल के अनुसार, जनवरी 2024 के चुनावों के बाद हसीना ने विपक्ष को दबाने के लिए तानाशाही रवैया अपनाया और जब छात्र सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरे, तो उन पर बर्बर कार्रवाई करवाई गई।
आखिर कैसे फंसीं हसीना?
जुलाई विद्रोह हत्या मामले में बांग्लादेश सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को आरोपी बनाया था। लेकिन ट्रायल शुरू होते ही अल-मामून ने कोर्ट में अपना पक्ष बदल दिया और हसीना के खिलाफ गवाही देने की इच्छा जताई। उनके इस कदम ने केस को नया मोड़ दे दिया। उधर, ऑडियो क्लिप सामने आने से हसीना की मुश्किलें और गहरा गईं। जब जांच एजेंसियों ने उसकी सत्यता की पुष्टि की, तो ICT ने मामले की सुनवाई तेज कर दी। अभियोजन पक्ष ने कई तकनीकी, डिजिटल और प्रत्यक्ष साक्ष्य अदालत के सामने रखे, जिसे कोर्ट ने विश्वसनीय माना।