KNEWS DESK- महराजगंज में मूर्ति विसर्जन के दौरान हुई हिंसा के बाद प्रशासन द्वारा अतिक्रमणकारी ठहराए गए लोगों के निर्माणों को ध्वस्त करने के लिए जारी नोटिसों को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में सोमवार को सुनवाई होगी। यह मामला एसोसिएशन फार प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR) संस्था द्वारा दायर जनहित याचिका से जुड़ा है, जिसमें महराजगंज बाजार में जारी ध्वस्तीकरण नोटिसों को रद्द करने का आग्रह किया गया है।
हिंसा के बाद ध्वस्तीकरण नोटिस
महराजगंज में 13 अक्टूबर को मूर्ति विसर्जन के दौरान हिंसा भड़क गई थी, जिसमें एक व्यक्ति रामगोपाल मिश्रा की हत्या कर दी गई थी। हिंसा के बाद प्रशासन ने कथित अतिक्रमणकारियों के निर्माणों को ध्वस्त करने के आदेश जारी किए। 17 अक्टूबर को महराजगंज बाजार के अतिक्रमणकारियों को ध्वस्तीकरण नोटिस जारी किए गए थे। इन नोटिसों के खिलाफ APCR ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में याचिका दायर की है, जिसमें इन नोटिसों को असंवैधानिक और अवैध करार देने की मांग की गई है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई
बुधवार को न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से कई बिंदुओं पर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया था। विशेष रूप से कोर्ट ने यह पूछा था कि क्या नोटिस जारी करने से पहले कोई सर्वेक्षण किया गया था और यह कि जिन लोगों के खिलाफ नोटिस जारी किया गया है, क्या वे उस भूमि के वास्तविक स्वामी हैं? इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या नोटिस जारी करने वाले अधिकारी इसके लिए सक्षम थे?
साथ ही कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि महराजगंज बाजार की उस सड़क पर बने निर्माणों को ढहाने का नोटिस जारी किया गया था, क्या वे निर्माण अवैध थे या नहीं? इस संबंध में राज्य सरकार से विस्तृत जवाब मांगा गया है। कोर्ट ने इस मामले में यह भी कहा था कि राज्य सरकार ऐसी कोई कार्रवाई न करे, जो कानूनी दृष्टि से सही न हो।
याचिका में क्या कहा गया है?
APCR की ओर से दायर जनहित याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि महराजगंज बाजार के कुछ हिस्सों में भ्रामक तरीके से ध्वस्तीकरण नोटिस जारी किए गए हैं। याचिका में यह भी कहा गया है कि हिंसा के बाद दोषी लोगों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाए, लेकिन निर्दोष लोगों और व्यापारियों को बिना किसी जांच या सर्वे के इस तरह के नोटिस नहीं भेजे जाने चाहिए। याचिका में इन नोटिसों को रद्द करने और इस प्रकार की कार्रवाई पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है।
राज्य सरकार की ओर से मुख्य स्थाई अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह ने कोर्ट को सूचित किया कि वह सोमवार को राज्य सरकार का जवाब पेश करेंगे। उन्होंने बताया कि सरकार ने सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया है, और नोटिस जारी करने से पहले जरूरी दस्तावेजों और प्रक्रियाओं की जांच की गई थी। हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि राज्य सरकार को कानून सम्मत कार्रवाई करनी चाहिए और बिना उचित कानूनी आधार के कोई भी कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।
आज इस मामले पर फिर से सुनवाई होगी, और इस दौरान राज्य सरकार को अपने जवाब में अदालत के सवालों का सटीक विवरण देना होगा। अब यह देखना होगा कि हाईकोर्ट राज्य सरकार की कार्रवाई को लेकर क्या आदेश जारी करता है और क्या कोर्ट महराजगंज में जारी ध्वस्तीकरण नोटिसों को रद्द करता है या नहीं। इस मामले पर हाईकोर्ट के फैसले से न केवल महराजगंज के अतिक्रमणकारियों को राहत मिल सकती है, बल्कि यह पूरे राज्य में प्रशासन की कार्रवाई के प्रति कानून के पालन के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश भी प्रदान कर सकता है।
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