KNEWS DESK- केरल की 38 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया, जो यमन में अपने यमनी बिज़नेस पार्टनर की कथित हत्या के मामले में फांसी की सजा का सामना कर रही हैं, को बचाने की आखिरी कोशिशों में अब भारत का सुप्रीम कोर्ट भी शामिल हो गया है। सोमवार, 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई करेगा जिसमें केंद्र सरकार से आग्रह किया गया है कि वह राजनयिक माध्यमों के ज़रिए निमिषा की सजा पर रोक लगवाने का प्रयास करे।
निमिषा प्रिया, जो केरल के पलक्कड़ ज़िले की रहने वाली हैं, साल 2011 में नौकरी के सिलसिले में यमन पहुंची थीं। उनके पति और बेटी बाद में भारत लौट आए, लेकिन वह वहीं रहकर एक मेडिकल क्लिनिक चलाने लगीं। यमन के कानूनों के अनुसार विदेशी मेडिकल पेशेवरों को स्थानीय नागरिक के साथ साझेदारी में क्लिनिक खोलना होता है, इसी कारण उन्होंने तलाल अब्दो महदी को अपना पार्टनर बनाया।
हालांकि, कुछ समय बाद स्थिति बदल गई। याचिका के अनुसार, महदी ने धोखे से खुद को निमिषा का पति बताकर दस्तावेज़ों में हेराफेरी की और उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया। आरोप है कि उसने निमिषा के साथ शारीरिक, मानसिक और आर्थिक शोषण किया।
साल 2017 में, निमिषा ने कथित तौर पर महदी को बेहोश करने की कोशिश की ताकि वह अपना पासपोर्ट लेकर यमन से भाग सके। लेकिन यह कोशिश विफल रही और महदी की मौत हो गई। आरोप है कि निमिषा ने शव को ठिकाने लगाने की भी कोशिश की। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया और 2020 में फांसी की सजा सुनाई गई, जिसे 2023 में हूती प्रशासन के सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा।
एडवोकेट सुभाष चंद्रन केआर द्वारा दायर याचिका में यमन में प्रचलित शरिया कानून के तहत ‘ब्लड मनी’ यानी मुआवज़े के आधार पर सजा से राहत दिलाने की अपील की गई है। यह तर्क दिया गया है कि पीड़ित के परिजनों को आर्थिक मुआवज़ा देकर निमिषा को माफ करने के लिए तैयार किया जा सकता है। परिवार ने 10 लाख डॉलर (लगभग 8.6 करोड़ रुपए) की ‘ब्लड मनी’ देने की पेशकश की है, ताकि यमन के कानून के तहत उसकी फांसी को रोका जा सके।
निमिषा इस समय यमन की राजधानी सना की जेल में बंद हैं, जो कि हूती विद्रोहियों के नियंत्रण में है। चूंकि भारत और हूती प्रशासन के बीच कोई औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं, इसलिए सीधे बातचीत और हस्तक्षेप की प्रक्रिया काफी जटिल है। फिर भी, भारतीय अधिकारी बैक चैनल के जरिए हस्तक्षेप कर रहे हैं ताकि किसी तरह उनकी फांसी की सजा को टाला जा सके या रद्द करवाया जा सके।
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