पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की प्रेस वार्ता में मृतक बीएलओ के परिजनों ने बताई आपबीती, सरकार और चुनाव आयोग पर साधा जमकर निशाना

शिव शंकर सविता- समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को सपा मुख्यालय में प्रेस वार्ता कर मृतक बीएलओ विजय कुमार वर्मा के परिवार से मुलाकात की। वार्ता के दौरान मृतक के परिजनों ने अपनी पूरी आपबीती सपा अध्यक्ष के सामने रखी। अखिलेश यादव ने पार्टी की ओर से पीड़ित परिवार को 2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता का चेक सौंपा और प्रशासन से परिवार को एक करोड़ रुपये की आर्थिक मदद देने की मांग की। अखिलेश यादव ने कहा कि विजय कुमार वर्मा की मौत ड्यूटी के दौरान हुई, लेकिन अधिकारियों पर दबाव बनाया जा रहा है कि इसे ड्यूटी डेथ न दिखाया जाए। उन्होंने प्रशासन और सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सपा की स्पष्ट मांग है कि किसी भी अधिकारी या कर्मचारी पर कोई दबाव न बनाया जाए। उन्होंने कहा, “बीजेपी इतनी जल्दबाजी में क्यों है? चुनाव आयोग और बीजेपी मिले हुए हैं। इतनी जल्दी क्या है एसआईआर की?

उपचुनाव के दौरान अधिकारियों पर लगाया बीजेपी के इशारे पर कार्य करने का आरोप

उन्होंने आरोप लगाया कि उपचुनाव के दौरान अधिकारियों ने बीजेपी के इशारे पर काम किया और यह लोकतंत्र को खत्म करने की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि सफाई कर्मियों को बीएलओ का सहायक बनाया गया है, जिससे काम और भी अव्यवस्थित हुआ है। फार्म वितरण को लेकर भी अखिलेश यादव ने सरकार के दावों को गलत बताया। उन्होंने कहा कि फार्म बांटे जा चुके हैं, यह दावा झूठा है। अखिलेश यादव ने चेतावनी दी कि SIR के जरिए लोगों का वोट डालने का अधिकार छीना जा रहा है, उनकी पहचान और आरक्षण पर खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने कहा कि जो जानकारी लोग फार्म में भर रहे हैं, उसे कोई भी निकाल सकता है और बीजेपी हर बूथ का डेटा इकट्ठा करने में लगी है।

बीजेपी सेक्युलर नहीं, कम्युनल पार्टी- अखिलेश यादव

बीजेपी पर सीधा हमला बोलते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी सेक्युलर नहीं, कम्युनल पार्टी है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी में माफ़ियाजीवी संस्कृति पनप चुकी है। उन्होंने कहा कि भाजपा में इनकाउंटर और कफ सीरप माफिया हैं, स्क्रैप और थाना माफिया हावी हैं। अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी लोकतंत्र की रक्षा के लिए लगातार लड़ रही है और आगे भी लड़ती रहेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि पहले लोकसभा चुनाव पर फोकस होगा और फिर जमीन पर आंदोलन तेज किया जाएगा।

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