KNEWS DESK – महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों में राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है। चुनाव आयोग ने दोनों राज्यों में आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों पर सख्त कदम उठाते हुए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस से जवाब तलब किया है। आयोग ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को अलग-अलग नोटिस जारी कर 18 नवंबर को दोपहर 1:00 बजे तक औपचारिक जवाब देने का निर्देश दिया है।
झारखंड में कांग्रेस पर बीजेपी का आरोप
झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 13 नवंबर को मतदान हुआ, जबकि दूसरे चरण के लिए 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। इस बीच, बीजेपी ने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस ने चुनावी प्रचार के “साइलेंट पीरियड” के दौरान, जो कि चुनाव प्रचार समाप्त होने के एक दिन पहले (11 नवंबर की शाम 5 बजे से) लागू होता है, अपना मेनिफेस्टो जारी किया।
बीजेपी ने इसे आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए राज्य चुनाव आयोग में शिकायत की थी। बीजेपी नेताओं ने कहा कि साइलेंट पीरियड के दौरान कोई भी नई घोषणाएं या चुनावी घोषणा पत्र जारी नहीं किए जा सकते, लेकिन कांग्रेस ने ऐसा किया, जिससे चुनाव के नियमों का उल्लंघन हुआ। इस शिकायत के बाद बीजेपी का एक प्रतिनिधिमंडल 14 नवंबर को चुनाव आयोग के पास पहुंचा और इस मामले में कार्रवाई की मांग की।
महाराष्ट्र में कांग्रेस का बीजेपी पर आरोप
महाराष्ट्र में भी चुनावी माहौल गरमाया हुआ है। राज्य की 288 विधानसभा सीटों पर 20 नवंबर को मतदान होगा। इस दौरान, कांग्रेस ने बीजेपी के राज्यसभा सांसद धनंजय महादिक के खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई है। कांग्रेस का आरोप है कि महादिक ने चुनाव प्रचार के दौरान महिलाओं के वोटरों को धमकी दी थी।
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि महादिक ने कहा था कि यदि महिलाएं बीजेपी को छोड़कर कांग्रेस को वोट देती हैं, तो उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा। कांग्रेस ने इस बयान को आपत्तिजनक और आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए चुनाव आयोग से मांग की है कि महादिक को चुनाव प्रचार से रोक दिया जाए और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
चुनाव आयोग का कड़ा रुख
चुनाव आयोग ने दोनों प्रमुख पार्टियों से इन शिकायतों पर 18 नवंबर तक जवाब मांगा है और उन्हें आगामी चुनावों में आदर्श आचार संहिता का पालन सुनिश्चित करने की याद दिलाई है। आयोग ने विशेष रूप से लोकसभा चुनाव के दौरान स्टार प्रचारकों और नेताओं के चुनाव प्रचार पर लगाए गए प्रतिबंधों को भी संदर्भित किया, जिसमें कहा गया था कि प्रचार के दौरान सार्वजनिक नियमों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता।
चुनाव आयोग ने दोनों दलों से यह भी अपेक्षाएं व्यक्त की हैं कि वे चुनाव प्रचार के दौरान ऐसे बयानबाजी से बचें, जिससे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन हो। साथ ही आयोग ने दोनों पार्टियों से आग्रह किया कि वे चुनावों को निष्पक्ष, पारदर्शी और नियमों के अनुरूप करवाने में आयोग के साथ सहयोग करें।
23 नवंबर को चुनावी का परिणामों का ऐलान
महाराष्ट्र और झारखंड के चुनावों का परिणाम 23 नवंबर को एक साथ सामने आएगा। दोनों राज्यों में चुनावी हलचल इस समय अपने चरम पर है, और दोनों ही प्रमुख दल एक-दूसरे पर आरोप लगाकर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रहे हैं। आचार संहिता उल्लंघन की शिकायतों ने इन चुनावों में एक नई तूल पकड़ ली है और चुनाव आयोग का रुख इन मामलों में सख्त होता नजर आ रहा है।
इस बीच, चुनाव प्रचार के अंतिम चरण में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप की बौछार करने में जुटे हैं। चुनाव आयोग का यह कदम यह संकेत देता है कि इस बार के चुनावों में कोई भी दल आचार संहिता का उल्लंघन करके राजनीति नहीं कर सकता है।