KNEWS DESK- केंद्र सरकार ने 14 फरवरी को चंडीगढ़ में आंदोलन कर रहे किसानों के साथ उनकी मांगों पर चर्चा करने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाने का निर्णय लिया है। यह फैसला शनिवार (18 जनवरी) को केंद्रीय कृषि मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार लिया गया। बैठक की घोषणा तब की गई, जब केंद्रीय कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव प्रिय रंजन के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने किसानों के आंदोलन और उनके प्रमुख नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से मुलाकात की, जो पिछले 54 दिनों से अनशन पर बैठे हुए हैं।
डल्लेवाल की बिगड़ी हालत पर केंद्र सरकार ने दी मेडिकल सहायता की अपील
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की बिगड़ती सेहत को देखते हुए केंद्र सरकार ने उनसे मेडिकल सहायता लेने की अपील की है। प्रिय रंजन ने बताया, “हमने डल्लेवाल की सेहत के बारे में जानकारी ली और किसानों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। हमने उनसे अनुरोध किया है कि वे अपना अनशन खत्म करें और चिकित्सा सहायता लें ताकि वह प्रस्तावित बैठक में भाग ले सकें।”
डल्लेवाल 26 नवंबर से पंजाब-हरियाणा की खनौरी सीमा पर अनशन कर रहे हैं, और उनकी स्थिति अब गंभीर बताई जा रही है। उनके वजन में 20 किलो तक की कमी हो चुकी है, और वह अब तक किसी भी प्रकार की मेडिकल सहायता लेने से इनकार करते आ रहे हैं। किसानों और केंद्र सरकार के बीच इससे पहले कई बैठकों का आयोजन हो चुका है, लेकिन इनमें से कोई भी बैठक अब तक समाधान नहीं निकल पाई है।
किसान आंदोलनों की बढ़ती संख्या और मुख्य मांगें
हाल ही में, 18 जनवरी को खनौरी सीमा पर 10 और किसानों ने अनशन शुरू किया, जिससे अब कुल 121 किसान भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं। किसान संगठनों ने बताया कि वे केंद्र सरकार द्वारा दी गई ताजा प्रस्तावना पर चर्चा करेंगे। किसानों का मानना है कि यह बातचीत उनके आंदोलन को एक नई दिशा दे सकती है और उनकी मुख्य मांग, जो कि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी है, उस पर ध्यान केंद्रित कर सकती है।
पिछले साल 13 फरवरी से किसान पंजाब-हरियाणा की खनौरी और शंभू सीमा पर डेरा डाले हुए हैं और उनकी मांगों पर केंद्र सरकार के साथ लगातार चर्चा हो रही है। हालांकि, अब तक इन बैठकों से कोई ठोस समाधान नहीं निकला है।
केंद्र सरकार की ओर से नई पहल
केंद्र सरकार द्वारा 14 फरवरी को आयोजित की जा रही बैठक को किसानों के आंदोलन को लेकर एक नई पहल के रूप में देखा जा रहा है। सरकार का प्रयास है कि किसानों और उनके संगठनों के साथ वार्ता के माध्यम से समस्याओं का समाधान निकाला जाए। इस बीच, किसान संगठनों का कहना है कि इस बैठक में उनकी मुख्य मांगों पर चर्चा की जाएगी और वे इस बार सरकार से ठोस परिणाम की उम्मीद कर रहे हैं।
यह बैठक उस वक्त महत्वपूर्ण हो जाती है जब किसानों के संघर्ष की अवधि लंबी हो चुकी है और उनके आंदोलन में नई जान फूंकने के लिए केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच विश्वास की आवश्यकता है।
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