KNEWS DESK- बांग्लादेश में हिंदुओं की हत्या और उन पर हो रहे अत्याचार के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। छात्र नेता उस्मान हादी की हत्या के बाद वहां हिंसक घटनाएं और तेज हो गई हैं। इसी पृष्ठभूमि में भारत की राजनीति में भी बयानबाजी तेज हो गई है। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने इस मुद्दे पर बोलते हुए प्रियंका गांधी वाड्रा को देश का प्रधानमंत्री बनाने की बात कह दी, जिससे सियासी हलकों में हलचल मच गई है।
इमरान मसूद ने कहा कि अगर प्रियंका गांधी प्रधानमंत्री होतीं, तो वह बांग्लादेश के मुद्दे पर उसी तरह सख्त जवाब देतीं, जैसे कभी इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को दिया था। उन्होंने कहा कि प्रियंका गांधी के नाम के साथ ‘गांधी’ जुड़ा है और वह इंदिरा गांधी की पोती हैं, जिनके फैसलों का असर आज भी पड़ोसी देशों पर दिखता है। मसूद ने तंज कसते हुए कहा कि “उन्हें प्रधानमंत्री बनाकर देखिए, फिर देखिए वह कैसे जवाब देती हैं।”
दरअसल, यह बयान बीजेपी की उस आलोचना के जवाब में आया, जिसमें कहा गया था कि प्रियंका गांधी गाजा मुद्दे पर तो बोलती हैं, लेकिन बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर चुप हैं।
इमरान मसूद के बयान पर बीजेपी नेता शहजाद पूनावाला ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस को खुद अपने नेतृत्व पर भरोसा नहीं है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि “इमरान मसूद कह रहे हैं राहुल गांधी को हटाओ और प्रियंका को लाओ।” पूनावाला ने राहुल गांधी को ‘लीडर ऑफ पलायन’ और ‘लीडर ऑफ पर्यटन’ बताते हुए आरोप लगाया कि वह विदेश जाकर भारत के खिलाफ बयान देते हैं।
इस पूरे विवाद पर प्रियंका गांधी के पति और बिजनेसमैन रॉबर्ट वाड्रा ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि कई तरफ से मांग उठ रही है कि प्रियंका गांधी को आगे आना चाहिए और कुछ लोग उन्हें भी राजनीति में आने की सलाह दे रहे हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि फिलहाल ध्यान उन असली मुद्दों पर होना चाहिए, जो आम लोगों से जुड़े हैं।
हाल ही में बांग्लादेश में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की हत्या के बाद प्रियंका गांधी वाड्रा ने केंद्र सरकार से प्रतिक्रिया की मांग की थी। उन्होंने बांग्लादेश में हिंदू, ईसाई और बौद्ध अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा को बेहद चिंताजनक बताया था। प्रियंका ने कहा था कि धर्म या पहचान के आधार पर हिंसा और हत्या किसी भी सभ्य समाज के लिए शर्मनाक है और भारत सरकार को बांग्लादेश सरकार के सामने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का मुद्दा मजबूती से उठाना चाहिए।