KNEWS DESK- 26/11 मुंबई आतंकी हमले के साजिशकर्ताओं में शामिल तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया है और वह इस समय एनआईए की 18 दिन की हिरासत में है। अब इस पूरे मामले पर अमेरिका की प्रतिक्रिया सामने आई है, जिसमें राणा के आतंकियों के समर्थन और भारतीयों के प्रति कट्टर विचारों को लेकर गंभीर खुलासे किए गए हैं।
अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि हमले के बाद तहव्वुर राणा ने डेविड हेडली से बातचीत में कहा था कि “भारतीय इसके हकदार थे।” इस इंटरसेप्टेड बातचीत में राणा ने उन 9 लश्कर आतंकवादियों की भी सराहना की, जो मुंबई हमले के दौरान मारे गए थे। इतना ही नहीं, उसने कहा कि उन आतंकियों को पाकिस्तान का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार “निशान-ए-हैदर” मिलना चाहिए — जो केवल शहीद सैनिकों के लिए आरक्षित होता है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कहा, “हम 26/11 हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाने के भारत के प्रयासों का लंबे समय से समर्थन करते आए हैं। तहव्वुर राणा को भारत प्रत्यर्पित किया गया ताकि वह इन भीषण हमलों की साजिश में अपनी भूमिका के लिए जवाबदेह हो।”
उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका और भारत मिलकर आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक संघर्ष में साझेदार बने रहेंगे, जैसा कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले भी कह चुके हैं।
तहव्वुर राणा को गुरुवार को दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर लाए जाने के बाद औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया गया और उसे पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया। अदालत ने एनआईए को 18 दिनों की हिरासत मंजूर की है, जबकि एजेंसी ने 20 दिनों की मांग की थी। राणा को अब सीजीओ कॉम्प्लेक्स स्थित एनआईए मुख्यालय की एक बेहद सुरक्षित कोठरी में रखा गया है, जहां 24×7 निगरानी की जा रही है।
कौन है तहव्वुर राणा का वकील?
राणा की ओर से वकील पीयूष सचदेवा केस लड़ रहे हैं, जिन्हें दिल्ली लीगल सेल की ओर से नियुक्त किया गया है। अदालत में पेशी के बाद सचदेवा ने कहा कि “अगर एनआईए को अधिक समय की जरूरत हो, तो वे आवेदन कर सकते हैं।” उल्लेखनीय है कि भारत में राणा को लेकर फांसी की सजा की मांग उठ रही है, लेकिन यह मामला कानूनी प्रक्रिया के तहत आगे बढ़ेगा।
राणा को अमेरिका में 2009 में गिरफ्तार किया गया था। वहां उस पर लश्कर-ए-तैयबा को समर्थन देने और डेविड हेडली के साथ मिलकर आतंकी साजिश रचने का आरोप लगा था। हालांकि मुंबई हमलों के मामले में वह अमेरिकी अदालत में बरी हो गया, लेकिन डेनमार्क हमले की साजिश में उसे 14 साल की सजा मिली थी। इसके बाद भारत ने उसके प्रत्यर्पण की लगातार मांग की, और 2023 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बाद फरवरी 2025 में ट्रंप प्रशासन ने राणा के प्रत्यर्पण को अंतिम रूप दिया।
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