KNEWS DESK- आज यानी 1 अगस्त को मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया। बता दें कि इस मामले पर हिंदू पक्ष ने 18 याचिकाएं दायर की थीं और शाही ईदगाह मस्जिद की जमीन को हिंदुओं का बताया था। साथ ही हिंदू पक्ष ने वहां पूजा का अधिकार दिए जाने की मांग भी की थी।
मुस्लिम पक्ष ने प्लेसिस ऑफ वर्शिप एक्ट, वक्फ एक्ट, लिमिटेशन एक्ट और स्पेसिफिक पजेशन रिलीफ एक्ट का हवाला देते हुए हिंदू पक्ष की याचिकाओं को खारिज करने की मांग की थी लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया है यानी अब हिंदू पक्ष की 18 याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक साथ सुनवाई होगी। जानकारी के लिए आपको बता दें कि ये फैसला जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने सुनाया है। दूसरे शब्दों में कहें तो इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की ऑर्डर7 रूल 11 की आपत्ति वाली अर्जी खारिज कर दी क्योंकि, मुस्लिम पक्ष ने याचिकाओं की पोषणीयता को चुनौती दी थी यानी हिंदू पक्ष की याचिकाओं पर सुनवाई जारी रहेंगे।
हिंदू पक्षकारों ने क्या दी थीं दलीलें?
ईदगाह का पूरा ढाई एकड़ का एरिया भगवान श्रीकृष्ण विराजमान का गर्भग्रह है।
मस्जिद कमेटी के पास भूमि का कोई ऐसा रिकॉर्ड नहीं है।
सीपीसी का आदेश-7, नियम-11 इस याचिका में लागू ही नहीं होता है।
मंदिर तोड़कर मस्जिद का अवैध निर्माण किया गया है।
जमीन का स्वामित्व कटरा केशव देव का है।
बिना स्वामित्व अधिकार के वक्फ बोर्ड ने बिना किसी वैध प्रक्रिया के इस भूमि को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया है।
भवन पुरातत्व विभाग से भी संरक्षित घोषित है।
मुस्लिम पक्षकारों की याचिका खारिज-
मुस्लिम पक्षकारों ने कोर्ट में दलील दी थी कि इस जमीन पर दोनों पक्षों के बीच 1968 में समझौता हुआ है। अब 60 साल बाद समझौते को गलत बताना ठीक नहीं। साथ ही उपासना स्थल कानून यानी प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के तहत भी मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है।
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