नई दिल्ली, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संस्थापक दिवंगत नेता मुलायम सिंह यादव को बुधवार को मरणोपरांत पद्म विभूषण पुरस्कार दिया गया। नेताजी के बेटे और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से यह सम्मान लिया। इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहे। पूर्व मुख्यमंत्री ले यह सम्मान लेने जाने के दौरान कार्यक्रम में मौजूद सभई लोगों को नमस्कार किया।
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर हुई थी पद्म पुरस्कार के नामों की घोषणा
बताते चलें कि गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या को पद्म पुरस्कार के नामों की घोषणा हुई थी। उनमें से एक नाम दिवंगत नेता मुलायम सिंह यादव का भी था। वहीं पद्म पुरस्कारों में नेता जी के नाम की घोषणा का जहां समाजवादी पार्टी ने स्वागत किया था। वहीं, उन्हें भारत रत्न दिए जाने की मांग भी उठाई थी। सपा नेताओं ने कहा था कि मुलायम सिंह का कद इससे कहीं बड़ा है। उन्हें भारत रत्न दिया चाहिए।
समादवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम की पुत्रवधू सांसद डिंपल यादव ने भी कहा था कि नेताजी का सम्मान पहले ही हो जाना चाहिए था। आने वाले समय में हमारी सरकार से मांग रहेगी कि उन्हें भारत रत्न दिया जाए। उधर, सपा प्रवक्ता आईपी सिंह ने ट्वीट कर कहा था कि धरतीपुत्र मुलायम सिंह यादव पर सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ को छोड़कर दूसरा कोई सम्मान नहीं भांता है।
सैफई में हुआ 22 नवंबर 1939 को जन्म
22 नवंबर 1939 को सैफई में जन्मे मुलायम सिंह यादव 1967 में पहली बार विधायक बने। इसके बाद 5 दिसंबर 1989 को पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। बाद में 2 बार और मुख्यमंत्री बने। मुलायम ने अपना राजनीतिक अभियान जसवंत नगर विधानसभा सीट से शुरू किया। सोशलिस्ट पार्टी, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से आगे बढ़े। 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन किया। 10 अक्टूबर 2022 को उनका निधन हो गया। मुलायम सिंह के निधन पर 3 दिन का राष्ट्रीय शोक रखा गया था एंव उनके निधन पर लगभग हर पार्टी के नेता पैतृक गांव श्रंद्धाजली देने के लिए पंहुचे थे।
समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का सोमवार को निधन हो गया। पहले पहलवानी, उसके बाद टीचिंग के पेशे में आने वाले मुलायम सिंह ने जीवन में कई तरह की मुश्किलें देखीं। वो कई दलों में शामिल रहे और बड़े नेताओं की शागिर्दी भी की। इसके बाद उन्होंने अपना दल बनाया। एक दो बार नहीं बल्कि तीन बार यूपी की सत्ता संभाली। यूपी की राजनीति जिस धर्म और जाति की प्रयोगशाला से होकर गुजरी, उसके एक कर्ताधर्ता मुलायम सिंह भी रहे।राजनीति में एंट्री करने से पहले मुलायम कुश्ती लड़ते थे। एग्जाम छोड़कर कुश्ती लड़ने चले जाते थे। कवि सम्मेलन में अकड़ दिखा रहे दरोगा को मंच पर ही पटक दिया था। सियासत के भी बड़े अखाड़ेबाज बने, विरोधियों को चित किया। सियासी और निजी जिंदगी आसान नहीं थी, पर लड़ते रहे। मौत सामने आई तो उससे भी दो-दो हाथ किए। ये थे मुलायम सिंह यादव, समाजवादियों के ही नहीं.. पूरे देश के नेताजी। समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का सोमवार को निधन हो गया। पहले पहलवानी, उसके बाद टीचिंग के पेशे में आने वाले मुलायम सिंह ने जीवन में कई तरह की मुश्किलें देखीं। वह कई दलों में शामिल रहे और बड़े नेताओं की शागिर्दी भी की। इसके बाद उन्होंने अपना दल बनाया। एक दो बार नहीं बल्कि तीन बार यूपी की सत्ता संभाली। यूपी की राजनीति जिस धर्म और जाति की प्रयोगशाला से होकर गुजरी, उसके एक कर्ताधर्ता मुलायम सिंह भी रहे।