अखाड़ा परिषद ने सिख अलगाववादी नेता पन्नू को दी कड़ी चेतावनी, कहा- हमने ऐसे सैकड़ों पागल…

KNEWS DESK-  अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने एक वीडियो में सिख अलगाववादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू द्वारा महाकुंभ को निशाना बनाने की धमकी देने के बाद उसे कड़ी चेतावनी दी है। पन्नू ने हाल ही में एक वीडियो में दावा किया था कि वह माघ मेले की प्रमुख स्नान तिथियों 14 जनवरी (मकर संक्रांति) और 29 जनवरी (मौनी अमावस्या) को बाधित करने की योजना बना रहे हैं। इस वीडियो में पन्नू की आवाज सुनाई दी, जो खालिस्तान समर्थक हैं और सिख फॉर जस्टिस (SFJ) के प्रमुख हैं। भारत सरकार ने पन्नू को आतंकवादी घोषित किया है और उसके खिलाफ कई कार्रवाईयां चल रही हैं।

सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस वीडियो में पन्नू ने महाकुंभ और माघ मेले के दौरान होने वाली धार्मिक गतिविधियों को रोकने की धमकी दी, जिसके बाद धार्मिक और राजनीतिक हलकों में विवाद पैदा हो गया। इस वीडियो के सामने आने के बाद अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने उसे समुदायों के बीच विभाजन भड़काने की कोशिश और देश की आंतरिक सुरक्षा को खतरा बताते हुए कड़ी आलोचना की है।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “अगर पन्नू नामक यह व्यक्ति हमारे महाकुंभ में घुसने की हिम्मत करेगा, तो उसे पीट-पीटकर बाहर निकाल दिया जाएगा। हम ऐसे सैकड़ों पागल देख चुके हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि धार्मिक आयोजनों में किसी भी तरह की खलल डालने की कोशिश को हर हाल में नाकाम किया जाएगा और इसे धर्म के खिलाफ एक कृत्य माना जाएगा।

यह विवाद तब उभरा, जब पीलीभीत जिले में यूपी और पंजाब पुलिस के साथ एक मुठभेड़ के दौरान खालिस्तानी जिंदाबाद फोर्स के तीन आतंकवादी मारे गए थे। इसके बाद पन्नू का यह वीडियो सामने आया, जिसमें वह खालिस्तान समर्थक गतिविधियों को बढ़ावा देने की कोशिश करते नजर आ रहे थे।

भारत सरकार और सुरक्षा एजेंसियां पन्नू के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही हैं, और उसे खालिस्तानी आतंकवादियों से संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार करने की कोशिशें जारी हैं। पन्नू के खिलाफ भारत में कई मामले दर्ज हैं, और उसकी गतिविधियों को लेकर सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह से सतर्क हैं।

इस घटना ने एक बार फिर देश के विभिन्न समुदायों के बीच सांप्रदायिक तनाव को बढ़ा दिया है। महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजन न केवल उत्तर भारत, बल्कि देशभर के करोड़ों लोगों के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखते हैं। ऐसे में किसी भी प्रकार की शांति व्यवस्था को प्रभावित करने की कोशिश को पूरी तरह से नकारा जाएगा, जैसा कि अखाड़ा परिषद ने स्पष्ट रूप से कहा है।

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