KNEWS DESK… दिल्ली एम्स के स्त्रीरोग विभाग के एक डॉक्टर ने ICMR के निर्देशों की अवहेलना करते हुए 6 वर्ष पहले IVF पद्धति से इलाज कराने आई थी. जिस दौरान डॉक्टर ने 2 महिलाओं की सहमति के बिना ही उनके अंडाणु IVF के लिए इस्तेमाल कर लिए थे. अब इस घटना के 6 साल बाद इस मामले की सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने डॉक्टर को चेतावनी देते हुए छोड़ दिया है.
दरअसल आपको बता दें कि इस मामले में NMC ने उक्त डॉक्टर के द्वारा किए गए प्रजनन चिकित्सा को लेकर चेतावनी देते हुए छोड़ दिया है. NMC ने अपने आदेश में कहा है कि ‘उक्त कार्य बिना किसी व्यक्तिगत लाभ के गरीब मरीजों की सहायता करते हुए उन्हें लाभ पहुंचाने के दृष्टिकोण से किया गया था. लेकिन यह कार्य उस समय के दिशा-निर्देश का उल्लंघन करते हुए किया गया था, इसलिए इन चीजों के करते समय डॉक्टर को भविष्य में अधिक सावधान रहने की आवश्कता है.
जानकारी के लिए बता दें कि DMC के सचिव डॉ. गिरिश त्यागी ने इस मामले में बताया कि वर्ष 2017 में DMC में एक शिकायत दर्ज की गई. जिसके अनुसार, इसी साल IVF की प्रक्रिया के लिए महिला मरीज से 30 अंडाणु प्राप्त किए गए थे. इनमें से 14 अंडाणुओं को डॉक्टर ने भ्रूणविज्ञानी से लिए 2 महिलाओं को उनकी सहमति के बिना ही दे दिया. इस केस की जांच समिति ने पाया कि ‘जबतक दाता की कोई लिखित सहमति नहीं होती है तब तक किसी मरीज के एग/ओसाइट्स को साझा करना अवैध एवं अनैतिक है. क्योंकि ICMR के दिशानिर्देशों के मुताबिक इस तरह की प्रकृति को साझा करना/दान करना प्रतिबंधित है.’ इसे दखते हुए इस मामले में DMC ने एक महीने के लिए उस डॉक्टर का लाइसेंस निलंबित करने का आदेश दे दिया था. जिसके बाद डॉक्टर ने NMC में अपील की थी. जिसमें DMC के आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी.