SIR प्रक्रिया में अब होगा एआई इस्तेमाल, फर्जी और मृत मतदाताओं की पहचान होगी आसान

डिजिटल डेस्क- चुनाव आयोग ने देश में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दूसरे चरण के तहत पश्चिम बंगाल में पहली बार एआई तकनीक का इस्तेमाल करने का निर्णय लिया है। अधिकारियों के अनुसार, एआई की मदद से फर्जी और मृत मतदाताओं की पहचान की जाएगी, जिससे मतदाता सूची की सटीकता और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। प्रक्रिया से जुड़े अधिकारी ने बताया कि एआई तकनीक मुख्य रूप से चेहरे मिलान तकनीक का इस्तेमाल करेगी। इसमें मतदाताओं की तस्वीरों का विश्लेषण कर यह देखा जाएगा कि कहीं कोई मतदाता अपनी तस्वीर का गलत इस्तेमाल तो नहीं कर रहा है या एक ही व्यक्ति की तस्वीर सूची में कई स्थानों पर दर्ज तो नहीं है। प्रवासियों की तस्वीरों के गलत इस्तेमाल की शिकायतों में बढ़ोतरी के कारण यह कदम उठाया गया है।

सत्यापन की अंतिम जिम्मेदारी बीएलओ पर ही होगी

हालांकि, अधिकारी ने यह स्पष्ट किया कि एआई तकनीक केवल मददगार उपकरण के रूप में काम करेगी। सत्यापन की अंतिम जिम्मेदारी बूथ-स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) पर रहेगी। बीएलओ को घर-घर जाकर मतदाताओं की तस्वीरें लेनी होंगी और भरे हुए फॉर्म के हस्ताक्षर सत्यापित करने होंगे। यदि कोई फर्जी या मृत मतदाता पाए जाते हैं, तो इसकी जिम्मेदारी संबंधित मतदान केंद्र के बीएलओ की होगी। चुनाव आयोग की इस योजना से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हरियाणा के चुनाव में ब्राजीली मॉडल के फोटो वाले पहचान पत्रों को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए थे। उनके अनुसार, इस तरह की तकनीकी खामियों से मतदाता सूची में गलतियां और फर्जी पंजीकरण की संभावना बढ़ जाती है। एआई तकनीक के इस्तेमाल से अब किसी मतदाता की तस्वीर का दोबारा इस्तेमाल होने का जोखिम काफी कम हो जाएगा।

एसआईआर के दूसरे में चरण में शामिल हैं 12 राज्य

एसआईआर के दूसरे चरण में देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया गया है। इनमें पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, केरल, गोवा, छत्तीसगढ़, पुडुचेरी, लक्षद्वीप और अंडमान निकोबार द्वीप समूह शामिल हैं। इस प्रक्रिया से मतदाता सूची की गुणवत्ता में सुधार के साथ-साथ चुनाव में पारदर्शिता और विश्वास बढ़ाने की उम्मीद है। चुनाव आयोग का कहना है कि एआई तकनीक और बीएलओ के संयुक्त प्रयास से मतदाता सूची में अनियमितताओं और फर्जी पंजीकरण को रोकने में मदद मिलेगी। यह कदम विशेष रूप से बड़ी आबादी वाले और प्रवासी मतदाताओं वाले राज्यों में प्रभावी साबित होगा।