KNEWS DESK- हरियाणा सरकार और किसान नेताओं के बीच बुधवार को एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें किसानों से जुड़े 13 अहम मुद्दों पर चर्चा की गई। यह बैठक करीब दो घंटे तक चली और सकारात्मक माहौल में संपन्न हुई। किसान नेताओं ने बैठक के बाद बताया कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने किसानों की सभी मांगों पर विचार करने और समाधान का आश्वासन दिया है।
मुख्यमंत्री सैनी ने जताई किसान समस्याओं को समझने की प्रतिबद्धता
बैठक के बाद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा, “मैं किसान परिवार से हूं और खुद खेतों में हल चला चुका हूं। मैं किसानों के दर्द और समस्याओं को समझता हूं और हमेशा संवाद के जरिए समाधान की कोशिश करता हूं। आज गुरनाम सिंह चढूनी की अगुवाई में किसान संगठनों के नेताओं के साथ विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हुई।”
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि बैठक में किसानों ने अपनी प्रमुख मांगों को सरकार के सामने रखा। किसानों ने केंद्र सरकार के प्रस्तावित कृषि ड्राफ्ट का विरोध किया और राज्य में प्राइवेट मंडियों की स्थापना का विरोध किया। केंद्र सरकार ने 10 जनवरी तक अपने सुझाव देने की तारीख बढ़ा दी है, और किसान यूनियन ने अपने सुझाव प्रस्तुत करने की बात कही है।
एमएसपी पर अलग कानून की आवश्यकता नहीं – मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी कानून की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार की मौजूदा घोषणाओं के बाद अलग से कानून बनाने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि किसानों के हित में कई कदम उठाए जा रहे हैं और सरकार इसके लिए लगातार काम कर रही है।
इसके अलावा, किसान यूनियन ने विभिन्न आंदोलनों के दौरान किसानों पर दर्ज मामलों को वापस लेने और उनके बकाया मुआवजे को तुरंत जारी करने की मांग की। मुख्यमंत्री ने इस पर भी जवाब देते हुए कहा कि कृषि के विकास और किसानों की समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए सरकार लगातार काम कर रही है और किसानों से संवाद जारी रहेगा।
किसानों को सुप्रीम कोर्ट की गठित कमेटी से चर्चा करने की सलाह
किसान नेताओं से मुलाकात के बाद गुरनाम सिंह चढूनी ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित कमेटी के साथ बातचीत पर कहा कि किसानों को कभी भी बातचीत के दरवाजे बंद नहीं करने चाहिए। चढूनी ने यह भी कहा कि किसान कमेटी के साथ चर्चा करने से इनकार नहीं कर सकते, क्योंकि यह सरकार और किसानों के बीच संवाद को बहाल करने का एक सकारात्मक कदम होगा।
संवाद का रास्ता खुला रखने की अहमियत
इस बैठक को सरकार और किसान नेताओं के बीच संवाद को बहाल करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है। किसान संगठन लंबे समय से अपने मुद्दों पर समाधान की मांग कर रहे थे, और इस बैठक ने दोनों पक्षों को एक साथ आने और मुद्दों पर गंभीरता से चर्चा करने का अवसर प्रदान किया।
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