डिजिटल डेस्क- बिहार विधानसभा चुनाव में हालिया हार के बाद आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के लिए आज का दिन बेहद अहम साबित हो सकता है। दिल्ली की राउज एवेन्यू स्थित स्पेशल CBI कोर्ट 4 दिसंबर को ‘नौकरी के बदले जमीन’ (लैंड फॉर जॉब) मामले में लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के खिलाफ आरोप तय करने को लेकर महत्वपूर्ण आदेश सुना सकती है। पिछली सुनवाई 10 नवंबर को हुई थी, जिसमें कोर्ट ने रिकॉर्ड पर मौजूद दस्तावेजों और सबूतों की विस्तृत समीक्षा की आवश्यकता बताते हुए फैसला टाल दिया था। इससे पहले अदालत ने 25 अगस्त को आरोप तय करने पर अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था। CBI ने इस मामले में विस्तृत चार्जशीट दायर की है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहते हुए वर्ष 2004 से 2009 के बीच नियमों की अनदेखी कर रेलवे में ग्रुप-D की नौकरियों में अनियमितताएं की गईं।
जमीन के बदले दी गई थी नौकरी
आरोप के अनुसार, जिन उम्मीदवारों को नौकरी दी गई, उनसे बदले में सस्ती दर पर जमीन ली गई और इन संपत्तियों को लालू परिवार या उनके करीबियों के नाम ट्रांसफर कराया गया। CBI का दावा है कि यह पूरी साजिश लालू प्रसाद यादव की जानकारी में रची गई थी। इधर, सुनवाई के दौरान एक बड़ा मोड़ तब आया जब पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने केस की सुनवाई कर रहे जज विशाल गोगने पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए जज बदलने की मांग कर दी। इस पर कोर्ट ने राबड़ी की अर्जी पर CBI से जवाब तलब किया है। राबड़ी का आरोप है कि उनके साथ न्यायिक पक्षपात किया जा रहा है, हालांकि CBI पहले ही अदालत में साफ कर चुकी है कि उसके पास पर्याप्त दस्तावेजी सबूत मौजूद हैं।
कुल 14 आरोपियों पर तय हैं आरोप
राउज एवेन्यू कोर्ट इस मामले में लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव समेत कुल 14 आरोपियों पर आरोप तय करने पर विचार कर रही है। अदालत पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि उसके पास मौजूद प्रारंभिक साक्ष्यों से यह संकेत मिलता है कि रेलवे में नौकरी देने की प्रक्रिया के बदले जमीनों की खरीद-फरोख्त का लेनदेन हुआ।