144 साल बाद आयोजित महाकुंभ में उमड़ी श्रद्धालुओं की अपार भीड़, आज गृहमंत्री अमित शाह लगाएंगे आस्था की डुबकी

KNEWS DESK-  कुंभ मेला, जो विश्वभर के हिन्दू धर्मावलंबियों का एक प्रमुख धार्मिक आयोजन है, में इस बार करोड़ों भक्त गंगा स्नान कर चुके हैं, और यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी इस महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंचेंगे। इससे पहले, एक कार्यक्रम में उन्होंने इस अवसर की विशेषता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 144 साल में एक बार ऐसा अवसर मिलता है जब महाकुंभ का आयोजन होता है। उन्होंने गुजरात के लोगों से खासकर युवा पीढ़ी से इस धार्मिक मेले में शामिल होने का आह्वान भी किया।

अमित शाह ने इस अवसर पर अपनी व्यक्तिगत यात्रा का भी उल्लेख किया और कहा, “मैंने अपने जीवन में 9 बार कुंभ में स्नान किया है और अर्धकुंभ भी देखा है। यह एक ऐसा अवसर है, जो हर किसी को जीवन में कम से कम एक बार अनुभव करना चाहिए।” शाह ने महाकुंभ के महत्व को बताते हुए कहा कि यह न केवल एक धार्मिक कृत्य है, बल्कि यह एकता और सद्भाव का संदेश भी देता है।

अमित शाह ने महाकुंभ के महत्व को इस तरह से समझाया कि यह आयोजन किसी भी धर्म, जाति या संप्रदाय के भेदभाव से ऊपर है। कुंभ में किसी भी व्यक्ति से यह नहीं पूछा जाता कि वह किस धर्म, समुदाय या जाति से है। यहाँ पर सभी को बिना किसी भेदभाव के भोजन और अन्य सेवाएं मिलती हैं। शाह ने कहा कि “दुनिया में कोई भी आयोजन महाकुंभ जितना शक्तिशाली संदेश सद्भाव और एकता का नहीं देता।”

इस धार्मिक मेले में लाखों लोग एक साथ एक ही उद्देश्य से जुटते हैं – गंगा में डुबकी लगाने और पुण्य अर्जित करने के लिए। यह आयोजन न केवल हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक प्रेरणा है कि भले ही हम विभिन्न जातियों, धर्मों और संस्कृतियों से आते हैं, लेकिन हमारी आस्थाएं और विश्वास हमें एकजुट करते हैं।

महाकुंभ का ऐतिहासिक महत्व-

महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल में होता है, और यह आयोजन खासतौर पर उन स्थानों पर होता है जहां गंगा, यमुन, सरस्वती और अन्य पवित्र नदियां बहती हैं। इस बार, 144 साल बाद यह आयोजन एक ऐतिहासिक मोड़ पर पहुंचा है, और लाखों श्रद्धालु इस खास अवसर का हिस्सा बन रहे हैं।

केंद्र सरकार और राज्य सरकार की तरफ से इस आयोजन की सुरक्षा व्यवस्था और व्यवस्थाओं का विशेष ध्यान रखा गया है, ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।

महाकुंभ के आयोजन ने न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण अवसर प्रदान किया है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी बन गया है। इस ऐतिहासिक पल का हिस्सा बनने के लिए लोग दूर-दूर से आकर इसमें शामिल हो रहे हैं, और यह आयोजन आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमूल्य धरोहर बन जाएगा। आज अमित शाह के महाकुंभ में शामिल होने के साथ, यह आयोजन और भी ऐतिहासिक बन गया है, और यह भारतीय संस्कृति, आस्था और एकता का जीता-जागता उदाहरण पेश कर रहा है।

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