ASI की चार सदस्यीय टीम आज पहुंचेगी संभल, 46 साल बाद खुले कार्तिकेय मंदिर और कुंए की होगी कॉर्बन डेटिंग

KNEWS DESK-  प्राचीन इतिहास और संस्कृति के महत्वपूर्ण धरोहरों को उजागर करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक चार सदस्यीय टीम आज संभल पहुंचने वाली है। इस टीम का मुख्य उद्देश्य संभल स्थित कार्तिकेय मंदिर और एक ऐतिहासिक कुंए की कार्बन डेटिंग करना है, ताकि इन स्थानों की उम्र और उनके ऐतिहासिक महत्व का वैज्ञानिक तरीके से निर्धारण किया जा सके। ASI की चार सदस्यीय टीम आज संभल पहुंचने वाली है, जहां वह कार्तिकेय मंदिर और ऐतिहासिक कुंए की कार्बन डेटिंग करेगी। इस वैज्ञानिक प्रक्रिया से इन स्थलां के निर्माण काल का पता चलेगा, जो इतिहासकारों और शोधकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा। इसके साथ ही, संभल क्षेत्र के ऐतिहासिक महत्व को और मजबूती मिलेगी, जो क्षेत्रीय धरोहर संरक्षण और पर्यटन को भी बढ़ावा दे सकता है।

कार्बन डेटिंग से खुलेंगे रहस्यों के दरवाजे

ASI की टीम कार्बन डेटिंग की प्रक्रिया के माध्यम से कार्तिकेय मंदिर और कुंए के अस्तित्व का ऐतिहासिक मूल्य आंकने के लिए तैयार है। कार्बन डेटिंग एक वैज्ञानिक विधि है, जो किसी वस्तु की उम्र का निर्धारण करती है, खासकर जैविक सामग्री जैसे लकड़ी, हड्डी, फसल, आदि के माध्यम से। इस प्रक्रिया के तहत, ASI की टीम मंदिर और कुंए से विभिन्न प्रकार के नमूने इकट्ठा करेगी, जैसे दीवारों के अवशेष, मिट्टी, या अन्य जैविक सामग्री, जिनकी मदद से उनके निर्माण काल का पता लगाया जा सकेगा।

कार्तिकेय मंदिर का ऐतिहासिक महत्व

संभल का कार्तिकेय मंदिर धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है। यह मंदिर न केवल स्थानीय भक्तों के लिए एक पूजा स्थल है, बल्कि इसके प्राचीन अवशेष भी इतिहासकारों और शोधकर्ताओं के लिए आकर्षण का केंद्र रहे हैं। माना जाता है कि यह मंदिर बहुत पुराना है और इसके निर्माण काल को लेकर कई अटकलें लगाई जाती रही हैं। कार्बन डेटिंग से इसकी वास्तविक उम्र का पता चलने की उम्मीद है, जो इस क्षेत्र की धार्मिक धरोहर को और मजबूत करेगा।

कुंए का ऐतिहासिक महत्व

इसके अलावा, ASI टीम द्वारा जिस कुंए की कार्बन डेटिंग की जाएगी, वह भी एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर है। माना जा रहा है कि यह कुंआ प्राचीन समय में जल संग्रहण और जीवन की आधारभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रयोग में लाया जाता था। कुंए के निर्माण से जुड़े विवरण और उसकी उम्र जानने के बाद, इतिहासकारों को इस क्षेत्र के जल प्रबंधन और वास्तुकला के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है।

टीम का नेतृत्व करेंगे विशेषज्ञ

ASI की टीम में पुरातत्वविद् और शोधकर्ता शामिल हैं, जो भारतीय इतिहास और पुरातात्त्विक अवशेषों के अध्ययन में विशेषज्ञता रखते हैं। टीम का नेतृत्व एक वरिष्ठ पुरातत्वविद् करेंगे, जिनके अनुभव और ज्ञान के आधार पर इस जांच प्रक्रिया को गंभीरता से किया जाएगा। टीम के सदस्य स्थानीय अधिकारियों के सहयोग से क्षेत्र का दौरा करेंगे और निर्धारित स्थानों पर आवश्यक नमूने इकट्ठा करेंगे।

संभल के लिए ऐतिहासिक कदम

संभल में ASI की टीम का आगमन इस क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है। इस प्रक्रिया से न केवल स्थानीय धरोहरों का महत्व बढ़ेगा, बल्कि इससे पूरे उत्तर भारत की प्राचीन संस्कृति और इतिहास को समझने में भी मदद मिलेगी। इसके अलावा, कार्बन डेटिंग के परिणामों के बाद, सम्भल के ऐतिहासिक स्थल और मंदिर एक नई रोशनी में उभर सकते हैं, जो पर्यटन और शोध के लिए भी आकर्षक बनेंगे।

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