KNEWS DESK- 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण को लेकर उठे विवाद पर आज मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होनी है। इस मामले के लटकने से हजारों अभ्यर्थी बीते कई वर्षों से न्याय की आस लगाए बैठे हैं। भर्ती प्रक्रिया 2018 में शुरू हुई थी, लेकिन आरक्षण व्यवस्था में अनियमितता के आरोपों के चलते मामला अब सर्वोच्च न्यायालय की चौखट पर पहुंच चुका है।
अभ्यर्थियों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने सरकार और प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा, “हम अभ्यर्थी पिछले कई सालों से दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने हमें न्याय दिया था, लेकिन सरकार की लापरवाही के कारण मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया। अब हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट से हमें इंसाफ मिलेगा।”
पटेल ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार सुप्रीम कोर्ट में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का पक्ष मजबूती से नहीं रखती, तो अभ्यर्थी विधानसभा का घेराव करेंगे। उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट, मुख्यमंत्री के निर्देश पर बनी जांच कमेटी की रिपोर्ट और हाईकोर्ट का निर्णय सभी हमारे पक्ष में हैं। फिर भी हमें नियुक्ति नहीं दी जा रही है।”
69000 शिक्षक भर्ती परीक्षा 2018 में कराई गई थी, जिसमें लाखों अभ्यर्थियों ने भाग लिया। लेकिन चयन सूची में आरक्षण नीति के सही तरीके से लागू न होने को लेकर विवाद खड़ा हो गया। पिछड़े और आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों का आरोप है कि उन्हें उनके हक के अनुसार सीटें नहीं मिलीं, जबकि उनके पास सभी जरूरी योग्यता और अंकों के आधार पर दावा था।
अब जबकि मामला सुप्रीम कोर्ट में है, सभी की निगाहें इस महत्वपूर्ण सुनवाई पर टिकी हुई हैं। अभ्यर्थियों को उम्मीद है कि न्यायालय न सिर्फ मामले का जल्द निस्तारण करेगा, बल्कि वर्षों से लंबित पड़ी उनकी नियुक्तियों का रास्ता भी साफ करेगा।
इस केस का फैसला ना सिर्फ हजारों अभ्यर्थियों के भविष्य को प्रभावित करेगा, बल्कि आने वाले समय में भर्ती प्रक्रियाओं में आरक्षण नीति के सही क्रियान्वयन को लेकर भी एक मिसाल बन सकता है।