आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को एक अदालत ने आज कहा कि पिछले महीने की गयी उनकी गिरफ्तारी अवैध थी, इसलिये उन्हें रिहा कर दिया जाये। 15 जनवरी को बेटे की शादी से ठीक पहले कोचर दंपत्ति को बॉम्बे हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है।
दोनों ने वीडियोकॉन समूह को प्रदान किए गए 3,000 करोड़ रुपये के ऋण में कथित अनियमितताओं से जुड़े एक मामले में 23 दिसंबर को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी, जब चंदा कोचर निजी क्षेत्र के बैंक का नेतृत्व कर रही थीं। उन्होंने अपने बेटे की शादी का हवाला देते हुए गिरफ्तारी के समय पर भी सवाल उठाया था | कोचर ने उच्च न्यायालय के समक्ष तर्क दिया था कि उनकी गिरफ्तारी अवैध है, क्योंकि वे मामले से छेड़छाड़ नहीं करने सहित एजेंसी की सभी शर्तों का पालन कर रहे हैं | वीडियोकॉन ग्रुप के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत को भी CBI ने ICICI लोन फ्रॉड केस में गिरफ्तार किया था |
सीबीआई ने दीपक कोचर, सुप्रीम एनर्जी, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा प्रबंधित न्यूपावर रिन्यूएबल्स (एनआरएल) कंपनियों के साथ कोचर और वेणुगोपाल धूत के खिलाफ भ्रष्टाचार और साजिश के मामले दर्ज किए हैं।सीबीआई का आरोप है कि आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन समूह की कंपनियों को बैंकिंग विनियमन अधिनियम, आरबीआई के दिशानिर्देशों और बैंक की क्रेडिट नीति का उल्लंघन करते हुए 3,250 करोड़ रुपये का ऋण स्वीकृत किया। जांचकर्ताओं के अनुसार, बदले में वेणुगोपाल धूत ने सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (एसईपीएल) के माध्यम से दीपक कोचर की न्यूपॉवर रिन्यूएबल्स में 64 करोड़ रुपये का निवेश किया | 2010और2012 के बीच घुमावदार तरीके से एसईपीएल को दीपक कोचर द्वारा प्रबंधित पिनेकल एनर्जी ट्रस्ट में स्थानांतरित कर दिया।
पिछले हफ्ते, अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह कोचर परिवार की याचिकाओं पर सुनवाई उनके बेटे की शादी के कारण नहीं बल्कि अनुपालन के सवाल पर पूछताछ के लिए कर रही थी।