KNEWS DESK- लोकसभा में बुधवार को विकसित भारत–जी राम जी (ग्रामीण रोजगार और आजीविका मिशन) संशोधन विधेयक पर करीब 14 घंटे तक लंबी और तीखी बहस हुई। बहस के दौरान विपक्ष ने इस प्रस्तावित बिल को स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजने की मांग की, जबकि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने इसका जोरदार समर्थन करते हुए इसे 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में एक अहम कदम बताया। इस दौरान कांग्रेस और बीजेपी के बीच तीखी नोकझोंक भी देखने को मिली।
बिल पर हुई चर्चा में कुल 98 सांसदों ने हिस्सा लिया। कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान आज गुरुवार को सदन में बहस का जवाब देंगे। वहीं, मनरेगा का नाम बदले जाने को लेकर विपक्ष और INDIA गठबंधन के दलों में नाराजगी है। इस मुद्दे पर आज गुरुवार सुबह विपक्षी दल संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास विरोध प्रदर्शन करेंगे। सूत्रों के मुताबिक यह प्रदर्शन सुबह 10.15 बजे होगा। इसे लेकर राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के कक्ष में विपक्षी दलों की बैठक भी हुई, हालांकि तृणमूल कांग्रेस इस बैठक में शामिल नहीं हुई।
बहस के दौरान आरएसपी सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने मनरेगा से महात्मा गांधी का नाम हटाने की कड़ी आलोचना करते हुए दावा किया कि यह विधेयक मोदी सरकार के पतन की शुरुआत साबित होगा। उन्होंने कहा कि देश की जनता कभी भी महात्मा गांधी का नाम किसी योजना से हटाए जाने को स्वीकार नहीं करेगी।
आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के नेता और सांसद चंद्रशेखर ने भी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि अगर नाम बदलना ही था तो इसे बाबासाहेब आंबेडकर के नाम पर रखा जा सकता था। उन्होंने चेतावनी दी कि महापुरुषों के सम्मान से खिलवाड़ करने वालों से जनता जरूर हिसाब लेगी।
कई विपक्षी सांसदों ने बिल को राष्ट्रपिता का अपमान बताया। भारतीय आदिवासी पार्टी के सांसद राजकुमार रोत ने आरोप लगाया कि सरकार मनरेगा को खत्म करने की दिशा में बढ़ रही है और इसके जरिए महात्मा गांधी का अपमान किया जा रहा है। कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने कहा कि भगवान राम ने सबरी के जूठे बेर खाकर गरीबों का सम्मान किया था, लेकिन सरकार मनरेगा का नाम बदलकर गरीबों का अपमान कर रही है। वहीं जम्मू-कश्मीर से निर्दलीय सांसद अब्दुल रशीद शेख ने बीजेपी पर भगवान राम के नाम का राजनीतिक इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।
दूसरी ओर बीजेपी सांसदों ने बिल का जोरदार बचाव किया। अनुराग ठाकुर ने कहा कि यह कानून प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की किसानों, मजदूरों, महिलाओं और हाशिए पर पड़े वर्गों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष नामकरण की राजनीति करता है, जबकि मोदी सरकार डिलीवरी और नतीजों पर फोकस करती है।
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने भी बिल को “बेहद अहम” बताते हुए कहा कि सरकार की गंभीरता वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी से साफ झलकती है। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 49 और 51(ए) का हवाला देते हुए कहा कि राष्ट्रीय प्रतीकों और महापुरुषों के नाम का राजनीतिक इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह महात्मा गांधी के नाम पर राजनीति और भ्रष्टाचार करती रही है, जबकि नया कानून जवाबदेही और पारदर्शिता लाएगा।
कांग्रेस सांसद के. सुरेश ने कहा कि लंबी बहस खुद इस बिल की गंभीरता को दिखाती है। उन्होंने दोहराया कि INDIA गठबंधन की मांग है कि इस अहम विधेयक को स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाए ताकि हर पहलू पर विस्तार से विचार हो सके। कांग्रेस सांसद प्रणिति शिंदे ने सरकार पर विधेयक को जल्दबाजी में पास कराने का आरोप लगाया, जबकि वामसी कृष्णा गड्डम ने कहा कि महात्मा गांधी का नाम हटाना बेहद दुखद है।