झांसी के महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज में आग से 10 नवजातों की मौत, सुरक्षा व्यवस्थाओं की लापरवाही का हुआ खुलासा

KNEWS DESK-  उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज में नवजात शिशु गहन चिकित्सा वार्ड (एसएनसीयू) में शुक्रवार रात हुई भीषण आग की घटना ने एक बार फिर सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्थाओं की खामियों को उजागर किया है। इस हादसे में 10 नवजात शिशुओं की झुलसने और दम घुटने से मौत हो गई, जबकि 45 अन्य नवजातों को सुरक्षित निकाल लिया गया। आग बुझाने की नाकाम कोशिशों और सुरक्षा उपायों की लापरवाही ने इस हादसे को और भी त्रासदीपूर्ण बना दिया।

सुरक्षा उपायों में लापरवाही

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एसएनसीयू में आग से बचाव के लिए जो फायर सिलिंडर लगाए गए थे, वे सभी एक्सपायर हो चुके थे। जांच में सामने आया है कि इन सिलिंडरों की एक्सपायरी डेट साल 2020 में खत्म हो चुकी थी। एक सिलिंडर पर 2019 की फिलिंग डेट और 2020 की एक्सपायरी डेट दर्ज थी, यानी ये सिलिंडर कई साल पहले ही निष्क्रिय हो चुके थे। इसके बावजूद इन्हें अस्पताल में रखकर दिखावे के लिए लगाया गया था।

इसके अतिरिक्त, आग से बचाव के लिए अस्पताल में जो फायर इंस्टीग्यूशर (फायर अलार्म) लगाए गए थे, वे भी अपनी निर्धारित उम्र पूरी कर चुके थे। अधिकारियों ने बताया कि कुछ सिलिंडर तो दो साल पहले और कुछ एक साल पहले अपनी उपयोगिता समाप्त कर चुके थे, जिससे आग पर काबू पाने में कोई सफलता नहीं मिल पाई।

घटनास्थल पर देर से बचाव कार्य

प्रत्यक्षदर्शियों और रिपोर्ट्स के मुताबिक, आग लगने के बाद जब एसएनसीयू में धुआं फैलने लगा और चीख-पुकार मच गई, तब तक सुरक्षा अलार्म बजा नहीं था। अगर अलार्म समय पर बजता, तो बचाव कार्य जल्दी शुरू किया जा सकता था। आग तेजी से फैलकर वार्ड के दरवाजे तक पहुंच गई, जिससे अंदर घुसने का रास्ता बंद हो गया। दमकलकर्मी पहले मुख्य दरवाजे से अंदर नहीं पहुंच पाए और फिर उन्होंने पीछे के रास्ते से आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन वह भी सफल नहीं हो पाए।

इसके बाद, दमकलकर्मियों ने खिड़की के कांच तोड़कर अंदर घुसने का प्रयास किया और किसी तरह आग की लपटों और धुएं के बीच नवजातों को बाहर निकालने में सफल हुए। हालांकि, आग लगने के लगभग आधे घंटे बाद बचाव कार्य शुरू हो सका, जिससे हादसे का स्वरूप और गंभीर हो गया।

सरकार और अधिकारियों की प्रतिक्रिया

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने इस घटना को लेकर गहरा शोक व्यक्त किया और बताया कि फरवरी 2024 में मेडिकल कॉलेज में फायर सेफ्टी की व्यवस्थाओं की जांच की गई थी। इसके बाद जून में एक ट्रायल भी किया गया था, लेकिन अफसोस की बात यह है कि आग बुझाने के उपाय नाकाम साबित हुए। बृजेश पाठक ने कहा कि घटना की पूरी जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने यह भी कहा कि मुआवजे के बारे में राज्य सरकार जल्द ही निर्णय लेगी और पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद दी जाएगी।

शोक और संवेदनाएं

इस भीषण हादसे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गहरा शोक व्यक्त किया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस घटना को ‘हृदयविदारक’ बताया और मृतकों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना की जांच के आदेश दिए और कहा कि इस दुखद घटना के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को सख्त सजा दी जाएगी।

सुरक्षा और प्रशासनिक खामियां

यह हादसा न केवल अस्पताल प्रशासन की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों की जांच की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है। जब तक इन खामियों को दूर नहीं किया जाता, तब तक मरीजों और नवजातों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठते रहेंगे। यह घटना अस्पतालों में आग से बचाव की व्यवस्था को लेकर एक गंभीर पुनर्विचार का आग्रह करती है।

इस हादसे ने सभी के लिए एक चेतावनी का काम किया है कि अस्पतालों में सुरक्षा उपायों की नियमित जांच और सुधार की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके और किसी भी परिवार को इस तरह की अनहोनी का सामना न करना पड़े।

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