बचाव दल से 50 मीटर दूर फंसे मजदूर
बचाव दल अब मजदूरों से केवल 50 मीटर दूर हैं, लेकिन मलबे का आकार बढ़ता जा रहा है। पहले की तुलना में मलबे की दीवार एक मीटर और बढ़ चुकी है। विशेषज्ञों का मानना है कि टनल अस्थिर है और इससे ज्यादा खुदाई करने पर बचाव कर्मियों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ सकती है।
हर मिनट टनल में 3200 लीटर पानी भर रहा है
टनल में हर मिनट 3200 लीटर पानी भर रहा है, जिससे कीचड़ भी बढ़ता जा रहा है। राहत दल पानी निकालने में जुटे हुए हैं, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।
विशेषज्ञों ने एंडोस्कोपिक और रोबोटिक कैमरों से मलबे का किया निरीक्षण
एलएंडटी की टीम ने एंडोस्कोपिक और रोबोटिक कैमरों की मदद से मलबे के नीचे की स्थिति जानने की कोशिश की है। इसके अलावा, सरकार ने नेशनल रिमोट सेंसिंग एजेंसी और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण से टनल की स्थिति की जांच के लिए भू-सर्वेक्षण डेटा मांगा है। भूवैज्ञानिकों की टीम ने सैंपल इकट्ठा कर लैब भेज दिए हैं। रिपोर्ट मिलने के बाद ही आगे का बचाव कार्य शुरू होगा।
कन्वेयर बेल्ट की स्थिति भी खराब, मरम्मत जारी
इस दौरान, एनडीआरएफ की टीम जिस कन्वेयर बेल्ट पर चढ़कर आवागमन कर रही थी, उसकी स्थिति भी खराब हो गई है। उसके टूटने का खतरा बना हुआ है और मरम्मत का काम चल रहा है।
वर्टिकल ड्रिलिंग प्रस्ताव को अधिकारियों ने किया खारिज
टनल में प्रवेश करने के लिए वर्टिकल ड्रिलिंग के प्रस्ताव को अधिकारियों ने खारिज कर दिया है। इस समय, 5 गैस-कटिंग मशीनें चौबीसों घंटे चल रही हैं, जो टीबीएम को काट रही हैं।
मोबाइल सिग्नल से मजदूरों की लोकेशन ट्रैक की जा रही है
एसएलबीसी टनल में फंसे मजदूरों के मोबाइल फोन सिग्नल के आधार पर उनकी लोकेशन ट्रैक की जा रही है। बचाव कार्य में 584 विशेषज्ञ कर्मी और 14 विशेष प्रशिक्षित ‘रैट-होल माइनर्स’ भी तैनात हैं, साथ ही स्निफर डॉग स्क्वाड भी मौजूद है।
70 घंटे से ज्यादा समय हो चुका है
यह हादसा शनिवार (22 फरवरी) को हुआ था, और अब तक 70 घंटे से अधिक समय बीत चुका है। तीन दिन से बचाव कार्य जारी है, लेकिन अब तक फंसे मजदूरों के बारे में कोई सकारात्मक खबर नहीं मिली है। तेलंगाना मंत्री जे कृष्णा राव ने कहा कि टनल हादसे में मजदूरों के बचने की संभावना बहुत कम है।