KNEWS DESK – कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के पति और बिजनेसमैन रॉबर्ट वाड्रा की कानूनी मुश्किलें फिर बढ़ गई हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने वाड्रा के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी है। यह मामला हरियाणा के शिकोहपुर में जमीन की खरीद-फरोख्त में हुई कथित अनियमितताओं से जुड़ा हुआ है। अब इस केस में 18 जुलाई को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई होनी है।
जमीन सौदे में भारी अनियमितता का आरोप
चार्जशीट के मुताबिक, रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड ने साल 2008 में 7.5 करोड़ रुपये में 3.53 एकड़ जमीन खरीदी थी। लेकिन, बिना कोई निर्माण कार्य किए इसी जमीन को कुछ ही समय में 58 करोड़ रुपये में बेच दिया गया। यह सौदा कथित तौर पर रियल एस्टेट कंपनी DLF के साथ किया गया। इस सौदे में ज़मीन की कीमतों में हुई भारी बढ़ोतरी और म्यूटेशन की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए गए हैं।
ED के अनुसार, इस पूरे मामले में तत्कालीन हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की भूमिका भी संदिग्ध रही है। हुड्डा सरकार ने वाड्रा की कंपनी को कमर्शियल कॉलोनी का लाइसेंस जारी किया, जिससे ज़मीन की कीमत में कई गुना इज़ाफा हुआ। इसके बाद जब ज़मीन DLF को बेची गई, तो लाइसेंस ट्रांसफर भी उसी कंपनी को कर दिया गया।
आईएएस अशोक खेमका ने किया था खुलासा
इस मामले में शुरुआती गड़बड़ियों की जानकारी आईएएस अधिकारी अशोक खेमका द्वारा की गई जांच के दौरान सामने आई थी। उन्हीं की रिपोर्ट के आधार पर हरियाणा पुलिस ने 2018 में इस डील में एफआईआर दर्ज की थी। अब ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच करते हुए वाड्रा सहित अन्य व्यक्तियों और कंपनियों को आरोपी बनाया है।
चार्जशीट में यह भी बताया गया है कि रॉबर्ट वाड्रा के कथित करीबी सीसी थंपी और ब्रिटेन के हथियार डीलर संजय भंडारी के रिश्तेदार सुमित चड्ढा की भूमिका की भी जांच की गई। सीसी थंपी पर 2005 से 2008 के बीच फरीदाबाद के अमीरपुर गांव में 486 एकड़ ज़मीन खरीदने का आरोप है। इसी ज़मीन में से वाड्रा और प्रियंका गांधी ने भी कुछ हिस्से खरीदे और बाद में वही ज़मीन वापस बेच दी।
प्रियंका गांधी का भी नाम आया
हालांकि चार्जशीट में प्रियंका गांधी को आरोपी नहीं बनाया गया है, लेकिन उनके नाम से की गई जमीन खरीद-बिक्री का पूरा विवरण जरूर शामिल है। चार्जशीट के मुताबिक, उन्होंने 2006 में अमीरपुर गांव में 5 एकड़ ज़मीन खरीदी थी, जिसे 2010 में एचएल पाहवा को बेच दिया गया।