KNEWS DESK- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज फ्रांस और अमेरिका की पांच दिवसीय यात्रा पर रवाना होंगे। इस यात्रा के दौरान वह फ्रांस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) एक्शन शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता करेंगे और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। इस यात्रा से भारत और फ्रांस के बीच रणनीतिक साझेदारी को और अधिक मजबूती मिलने की उम्मीद है।
फ्रांस में प्रधानमंत्री मोदी का कार्यक्रम
प्रधानमंत्री मोदी 10 से 12 फरवरी तक फ्रांस में रहेंगे। आज शाम वह पेरिस पहुंचेंगे और एलिसी पैलेस में आयोजित एक विशेष रात्रिभोज में भाग लेंगे। इस अवसर पर दुनियाभर के तकनीकी क्षेत्र के प्रमुख सीईओ और गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहेंगे।
11 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी एआई एक्शन समिट के तीसरे संस्करण की सह-अध्यक्षता करेंगे। इस शिखर सम्मेलन की मेजबानी पहले ब्रिटेन (2023) और दक्षिण कोरिया (2024) कर चुके हैं। इस बैठक के दौरान कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विभिन्न पहलुओं, इसके उपयोग, जोखिम और वैश्विक सहयोग पर चर्चा की जाएगी।
इसके अलावा, भारत और फ्रांस के बीच रक्षा, व्यापार, प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष सहयोग को लेकर द्विपक्षीय वार्ता होगी। इस बैठक में दोनों देशों के बीच रक्षा सौदों, तकनीकी साझेदारी और हरित ऊर्जा पहल को गति देने के मुद्दों पर विचार किया जाएगा।
फ्रांस के बाद प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका की यात्रा पर जाएंगे, जहां वह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करेंगे। यह उनके दूसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री मोदी की पहली अमेरिकी यात्रा होगी। इस बैठक में भारत-अमेरिका के बीच व्यापार, सुरक्षा सहयोग, रक्षा साझेदारी और वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा की जाएगी।
भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते संबंधों को देखते हुए इस यात्रा को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह बैठक न केवल दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करेगी, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका को और अधिक प्रभावशाली बनाएगी।
भारत-फ्रांस और भारत-अमेरिका संबंधों को नई दिशा
प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा से भारत, फ्रांस और अमेरिका के बीच रणनीतिक सहयोग को और गति मिलने की संभावना है।
- भारत-फ्रांस साझेदारी: रक्षा, एयरोस्पेस, ऊर्जा और डिजिटल सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
- भारत-अमेरिका सहयोग: व्यापार, रक्षा और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में नई साझेदारी पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- वैश्विक प्रभाव: एआई, जलवायु परिवर्तन और इंडो-पैसिफिक रणनीति पर महत्वपूर्ण चर्चाएं होने की संभावना है।
इस यात्रा के दौरान हुए समझौते और चर्चाएं आने वाले वर्षों में भारत की वैश्विक भूमिका को और सशक्त बनाएंगी।
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