KNEWS DESK- बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर सियासत गरमा गई है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव आयोग की प्रक्रिया और निर्देशों पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि 5 जुलाई को राजद प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग से मुलाकात कर अपनी चिंताएं साझा की थीं, लेकिन अब तक आयोग की ओर से कोई ठोस और स्पष्ट जवाब नहीं मिला है।
तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि “बिहार चुनाव आयोग केवल डाकघर की तरह काम करता है, उसे जवाब देने का अधिकार नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग लगातार भ्रामक आदेश और विरोधाभासी विज्ञापन जारी कर रहा है जिससे मतदाता भ्रमित हो रहे हैं।
तेजस्वी ने इस बात पर खास तौर से नाराजगी जताई कि नया वोटर कार्ड बनाने के लिए फॉर्म 6 में आधार कार्ड मान्य होता है, लेकिन पुनरीक्षण प्रक्रिया में आधार को मान्यता नहीं दी जा रही है। उन्होंने कहा, “आयोग को हमारी शंकाओं का बिंदुवार जवाब देना चाहिए और प्रक्रिया की निष्पक्षता सुनिश्चित करनी चाहिए।”
उन्होंने यह भी मांग की कि आयोग यह स्पष्ट करे कि मतदाता पुनरीक्षण कार्य में लगे लोग सरकारी कर्मचारी हैं या निजी एजेंसी से जुड़े लोग। उनकी सूची सार्वजनिक की जाए ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
इस मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी ने भी चुनाव आयोग पर निशाना साधा। पार्टी ने कहा कि आयोग पूरी तरह से ‘कन्फ्यूजन की स्थिति’ में है। पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा कि आयोग को समझ ही नहीं आ रहा है कि उसे कौन सा निर्णय लेना है।
कांग्रेस ने ऐलान किया है कि 9 जुलाई को राज्यभर में चक्का जाम किया जाएगा और इस आंदोलन में वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के शामिल होने की भी संभावना है। पार्टी का दावा है कि मतदाता सूची की इस प्रक्रिया में राजनीतिक उद्देश्य साधे जा रहे हैं, जिसका खुलकर विरोध किया जाएगा।
वहीं इस पूरे विवाद पर भाजपा नेता सैयद शाहनवाज हुसैन ने तेजस्वी यादव और कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा, “आरजेडी और कांग्रेस जानबूझकर मतदाताओं, खासकर मुस्लिम समुदाय में भ्रम फैला रही हैं। मतदाता सत्यापन से किसी को डरने की जरूरत नहीं है, इससे केवल वैध मतदाता ही वोटिंग के पात्र रहेंगे।”
उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले मतदाता सूची का सत्यापन एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसे लेकर विपक्ष राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि चुनाव से पहले मतदाता सूची की पुनरीक्षण प्रक्रिया बिहार में राजनीतिक दलों के बीच नए टकराव का केंद्र बन गई है। जहां एक ओर सत्तारूढ़ बीजेपी इसे प्रामाणिकता का साधन बता रही है, वहीं विपक्ष इसे जनविरोधी और पक्षपातपूर्ण प्रक्रिया करार दे रहा है।
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