SHIV SHANKAR SAVITA- 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारतवासियों को पुराने जख्मों और दर्द की याद दिला दी। पहलगाम हमला पहला बड़ा हमला नहीं है, बल्कि इससे पहले भी भारत की अस्मिता और अखंडता को भंग करने की नापाक कोशिशें सरहद पार बैठे शैतानों ने की है। आइये जानते हैं ऐसे बड़े आतंकियों हमलों को, जिन्होंने भारत की अस्मिता और अखंडता को भंग किया और वो हमले आज भी याद किये जाते हैं।
1993 का मुंबई सीरियल ब्लास्ट
6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद महाराष्ट्र में भी सांप्रदायिक तनाव की खबरें आ रही थीं। सीएम सुधाकर राव नाईक से हालात संभल नहीं रहे थे। ऐसे में शरद पवार को वापस महाराष्ट्र भेजा गया। फैसला हुआ कि पवार रक्षा मंत्री का पद छोड़कर महाराष्ट्र की कुर्सी संभालेंगे। तारीख- 6 मार्च 1993। शरद पवार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनते हैं। छह दिन बीतते हैं। 12 मार्च 1993 का दिन। मुंबई में एक के बाद एक 12 सिलसिलेवार धमाके होते हैं। यह सीरियल ब्लास्ट 11 जगहों पर हुए थे। इस हमले में शरद पवार ने पिछले साल अप्रैल में जलगांव में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, ‘मैंने कहा था कि सीरियल ब्लास्ट की 12वीं जगह मोहम्मद अली रोड है। इस वजह से मुंबई में सांप्रदायिक दंगे नहीं हुए थे। मैंने 12वें स्थान के तौर पर एक मुस्लिम इलाके का जिक्र किया था। यह बात सौ प्रतिशत सच है। मैंने ऐसा इसलिए कहा था क्योंकि जिन 11 जगहों पर विस्फोट हुए थे उनमें हिंदू समुदाय से जुड़े महत्वपूर्ण स्थान थे। इनमें सिद्धि विनायक मंदिर भी था। मैंने निजी तौर पर धमाकों में इस्तेमाल सामग्री की जांच की थी, जो भारत नहीं बल्कि कराची में बनाई गई थी। यानी इसका मतलब साफ था कि एक पड़ोसी देश हिंदुओं और मुसलमानों में वैमनस्य पैदा करना चाहता था। मुंबई में आग लगाना उनका मकसद था। लेकिन इसमें स्थानीय मुस्लिम नहीं शामिल थे।’ पवार ने धमाकों की जांच करने वाले श्रीकृष्ण आयोग का हवाला देते हुए कहा था, ‘आयोग ने भी माना था कि अगर मैंने यह स्टैंड नहीं लिया होता तो मुंबई जल उठती।’

इस हमले की जिम्मेदारी डी-कंपनी के अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम ने ली थी। इस आतंकी हमले में 257 निर्दोष लोगों की जान गई थी। इस हमले की खास बात ये थी कि जिन आतंकवादियों ने इस हमले को अंजाम दिया था उन्हें पड़ोसी देश पाकिस्तान से ट्रेनिंग दी गई थी और हमले में प्रयुक्त बम, हथियार और अन्य सामानों की आपूर्ति भी पाकिस्तान से की गई थी।
इस मामले में सीबीआई और टाडा ने केस की जांच की और 100 लोगों को आरोपी बनाया। आरोपियों में से याकूब मेनन को 2015 में फांसी दे दी गई, जबकि टाइगर मेमन और दाऊद इब्राहिम अभी भी फरार हैं।
संसद हमला 2001
नई दिल्ली स्थित 13 दिसंबर 2001 को भारत के लोकतंत्र पर किया गया एक भयावह और ऐतिहासिक आतंकी हमला था, जो देश की सुरक्षा व्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था को सीधे चुनौती देता है। सुबह 11:30 बजे के आसपास, पाँच हथियारबंद आतंकी संसद परिसर में एक सफेद एम्बेसडर कार में घुस आए। उन्होंने फर्जी पास और स्टिकर का इस्तेमाल किया था, जो गृह मंत्रालय के वाहन जैसा दिख रहा था। आतंकियों ने संसद भवन पर AK-47, ग्रेनेड और विस्फोटकों से हमला किया। उस समय संसद सत्र चल रहा था, और कई प्रमुख नेता मौजूद थे, जैसे उप-प्रधानमंत्री एल.के. आडवाणी, गृह मंत्री एल.के. पराशरन, और कई सांसद थे। 9 सुरक्षाकर्मी और कर्मचारी शहीद हुए। सभी 5 आतंकी मारे गए। जांच में पाया गया कि यह हमला पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा ने मिलकर किया था। अफजल गुरु को इस हमले में सह-साजिशकर्ता माना गया और 2002 में उसे गिरफ्तार किया गया। 2013 में अफजल गुरु को फांसी दी गई (9 फरवरी 2013, तिहाड़ जेल)।

मुंबई आतंकी हमला (26/11)
मुंबई आतंकी हमला 26/11 आधुनिक भारत के सबसे भयावह और दर्दनाक आतंकवादी हमलों में से एक था। यह हमला न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए आतंकवाद की भयावहता का प्रतीक बन गया। 10 आतंकी पाकिस्तान के कराची बंदरगाह से नाव के ज़रिए मुंबई पहुंचे। उन्होंने AK-47, हैंड ग्रेनेड्स और अन्य आधुनिक हथियारों से हमला किया। ताज होटल में सबसे लंबी मुठभेड़ हुई, जो 3 दिन तक चली। CST स्टेशन पर अंधाधुंध फायरिंग में दर्जनों लोग मारे गए। इस हमले में एकमात्र ज़िंदा पकड़ा गया आतंकी अजमल आमिर कसाब को सुरक्षा एजेंसियों ने पकड़ा था। CCTV फुटेज में उसे CST स्टेशन पर फायरिंग करते हुए देखा गया था। एकमात्र जिंदा पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब को 21 नवंबर 2012 को पुणे की यरवदा जेल में फांसी दी गई

अक्षरधाम आतंकी हमला (2002)
अक्षरधाम मंदिर हमला (2002) भारत में हुए सबसे चौंकाने वाले और दुखद आतंकी हमलों में से एक था। यह हमला धार्मिक स्थल को निशाना बनाकर भारत की सांप्रदायिक सौहार्द और आस्था पर सीधा वार था। 24 सितंबर 2002 को शाम लगभग 4:45 बजे, दो आतंकवादी AK-47, हैंड ग्रेनेड और विस्फोटकों से लैस होकर स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर, गांधीनगर, गुजरात परिसर में घुस गए। उन्होंने निहत्थे श्रद्धालुओं और सुरक्षाकर्मियों पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। हमलावरों ने मंदिर के अंदर कई लोगों को बंधक जैसा बना लिया और गोलियों की बौछार जारी रखी। इस हमले में महिलाओं और बच्चों समेत 33 लोग मारे गए थे और 80 लोग घायल हो गए थे। राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) ने इस हमले में 2 आतंकियों को मार गिराया था और 6 लोगों को गिरफ्तार किया था। शुरुआती जांच में ISI (पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी) के हाथ होने की आशंका जताई गई। इस हमले की जांच कर रही गुजरात पुलिस की पर सवाल उठे। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए कहा कि गिरफ्तार किए गए 6 आरोपी निर्दोष थे और उन्हें झूठे सबूतों के आधार पर फंसाया गया था।

पुलवामा हमला (2019)
पुलवामा हमला (2019) भारत के सुरक्षाबलों पर हुआ अब तक का सबसे भीषण आत्मघाती आतंकी हमला था। इसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया और भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को नई ऊँचाई तक पहुंचा दिया। 14 फरवरी 2019 को दोपहर के समय सीआरपीएफ (CRPF) के जवानों का काफिला जम्मू से श्रीनगर की ओर जा रहा था। काफिले में लगभग 78 वाहन और 2500 से अधिक जवान थे। एक महिंद्रा स्कॉर्पियो SUV, जिसमें 350 किलो विस्फोटक (RDX + पेट्रोलियम आधारित विस्फोटक) था, अचानक काफिले से टकराई और तेज धमाके के साथ विस्फोट हुआ। इस हमले में 40 से अधिक सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए व कई जवान गंभीर रूप से घायल हो गए। इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने हमले की जिम्मेदारी ली। हमले से कुछ घंटे बाद, आदिल डार का वीडियो बयान जारी किया गया, जिसमें वह हमले को “जन्नत की राह” बता रहा था।
