चीन के विदेश मंत्री वांग यी कल रात भारत पहुंच गए हैं. आज सुबह दस बजे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से वांग यी की मुलाकात होगी. इसके बाद वह सुबह करीब 11 बजे विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात करेंगे. वांग यी का ये भारत दौरा ऐसे वक्त हो रहा है जब जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर उनके एक बयान को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया दी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर से जुड़ा मुद्दा पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है और चीन समेत अन्य देशों को इस पर बयान देकर हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है.
वांग यी के भारत आने पर उत्साहित नहीं है भारत
केवल तस्वीरों की खातिर चीनी यात्रा के खिलाफ भारत ने कोई गर्मजोशी नहीं दिखाई है. पर्दे के पीछे चली बातचीत में नई दिल्ली ने पहले ही अपना नज़रिया साफ कर दिया था. भारत सीमा तनाव सुलझाने के ठोस कदमों और समाधान का पक्षधर है. मगर सिर्फ औपचारिकता के लिए यात्रा-मुलाकात पर अधिक उत्साह नहीं है. सूत्रों के मुताबिक, वांग यी से बैठक में पूर्वी लद्दाख में बीते करीब डेढ़ साल से जारी सीमा तनाव सुलझाने की बात पर जोर होगा.
सीमा विवाद सुलझाने के लिए हो चुकी हैं 15 दौर की वार्ता
भारत और चीन के बीच जारी सीमा तनाव को सुलझाने के लिए अब तक सैन्य कमांडर स्तर पर 15 दौर की वार्ता हो चुकी हैं, लेकिन पूर्वी लद्दाख में डेपसांग समेत अन्य इलाकों में तनाव घटाने, मामले को सुलझाने और सैनिक जमावड़ा कम करने का कोई फार्मूला नहीं निकल पाया है. मार्च 12 को दोनों देशों के बीच चुशूल-मोलडो बॉर्डर पॉइंट पर 15वें दौर की बातचीत हुई थी.
भारत के बाद नेपाल दौरा
वहीं भारत की नजरें वांग यी के नेपाल दौरे पर भी लगी हैं. वांग को भारत के बाद नेपाल का दौरा करना है. वांग अपनी यात्रा के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री और सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली और सीपीएन माओवादी सेंटर के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ से भी मिलेंगे. चीन दोनों वामपंथी नेताओं को साथ लाकर फिर चीन के समर्थन की सरकार बनाने की कोशिश कर सकता है, जबकि नेपाल में इस इस वक्त शेर बहादुर देउबा की सरकार है. चीनी के बढ़ते दखल के बीच अब नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा श्रीलंका का दौरा रोककर 1 अप्रैल को भारत दौरे पर आ रहे हैं. ये नेपाल के पीएम की चार साल बाद भारत यात्रा होगी.