पड़ोसी देशों संग भारत के संबंधों पर बोले जयशंकर, कहा – ‘किसी ने छेड़ दिया तो छोड़ेगा नहीं’

KNEWS DESK – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के 11 वर्ष पूरे हो चुके हैं। इस मौके पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बीते एक दशक में भारत की विदेश नीति में आए अहम बदलावों और इसके प्रभावों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि आज की विदेश नीति भारत की आत्मनिर्भरता, सामर्थ्य और दृढ़ संकल्प की पहचान बन चुकी है।

“सहज संबंधों की उम्मीद न करें”

जयशंकर ने कहा कि भारत को अब अपने पड़ोसी देशों से हर समय सहज संबंधों की अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब समय आ गया है कि भारत के पड़ोसी यह समझें कि भारत के साथ सहयोग करने से फायदा होगा, जबकि विरोध करने पर इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

उन्होंने पाकिस्तान पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि कुछ देशों को यह बात समझने में समय लगता है, लेकिन पाकिस्तान इसके बिल्कुल उलट है। “पाकिस्तान में शत्रुता गहरी है और उन्होंने अपनी राष्ट्रीय पहचान को सेना के अधीन बना दिया है,” विदेश मंत्री ने कहा। पाकिस्तान को छोड़कर, उन्होंने जोर दिया कि भारत की रणनीति बाकी पड़ोसियों पर प्रभावी साबित हो रही है।

अमेरिका और चीन के साथ संतुलित रणनीति

जयशंकर ने अमेरिका और चीन को लेकर भारत की रणनीति पर भी खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि अमेरिका के साथ अनिश्चितताओं के बावजूद भारत ने संबंधों को स्थिर रखने के लिए कई मोर्चों पर काम किया है। वहीं चीन को लेकर उन्होंने कहा कि सीमाई तनावों के बीच भारत ने अपनी क्षमताओं को मज़बूत करने पर जोर दिया है।

2020 की गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प का जिक्र करते हुए जयशंकर ने बताया कि चीन के साथ संबंधों को समझदारी और आत्मबल के साथ संभालने की जरूरत है।

मोदी युग में भारत की वैश्विक पहुंच और ऑपरेशनों की दक्षता

एस. जयशंकर ने प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति की प्रशंसा करते हुए कहा कि मोदी ने सिर्फ लक्ष्य नहीं तय किए, बल्कि उन्हें हासिल करने की रणनीति भी दी। उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंधु’ और ‘ऑपरेशन गंगा’ जैसे मिशनों को उदाहरण के रूप में गिनाया, जिनमें खतरनाक परिस्थितियों में भारतीय नागरिकों को सफलतापूर्वक निकाला गया।

विदेश मंत्री ने यह भी बताया कि श्रीलंका और मालदीव जैसे देशों में शासन परिवर्तन के बावजूद भारत के संबंध मजबूत बने रहे। मालदीव के साथ शुरुआती मतभेदों के बाद भी अब द्विपक्षीय संबंधों में सुधार देखने को मिला है। नेपाल के संदर्भ में उन्होंने कहा कि भले ही भारत को उनकी आंतरिक राजनीति में घसीटा जाता हो, लेकिन समझदारी से काम लेना ही कूटनीति की जीत है।

“पहले नहीं छेड़ेंगे, लेकिन छोड़ेंगे भी नहीं”

जयशंकर ने पाकिस्तान के संदर्भ में भारत की बदली हुई नीति को दृढ़ता से रखा। उन्होंने कहा कि पहले भारत की नीति नरमी की थी, जिसमें 26/11 मुंबई हमले जैसे आतंकी हमलों के बावजूद पाकिस्तान के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई थी। लेकिन अब मोदी सरकार ने उस नीति को पूरी तरह बदल दिया है।

उन्होंने उरी सर्जिकल स्ट्राइक (2016), बालाकोट एयर स्ट्राइक (2019) और हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर का हवाला देते हुए बताया कि आज का भारत पहले हमला नहीं करता, लेकिन अगर उकसाया गया तो पूरी ताकत से जवाब देता है।