डिजिटल डेस्क- देश की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी इंडिगो इन दिनों अपने इतिहास के सबसे बड़े परिचालन संकटों में से एक से गुजर रही है। पिछले दो दिनों में एयरलाइन को 200 से अधिक फ्लाइट्स रद्द करनी पड़ीं, जबकि दर्जनों उड़ानें घंटों की देरी से चलीं। इसका असर न केवल लाखों यात्रियों पर पड़ा है, बल्कि पूरा भारतीय एविएशन सेक्टर भी इससे हिल गया है। एयरपोर्ट टर्मिनलों पर लंबी कतारें, यात्रियों का गुस्सा, अचानक ध्वस्त हुआ शेड्यूल और सोशल मीडिया पर शिकायतों की बाढ़, इन सबने देश के सामने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर भारत की सबसे भरोसेमंद एयरलाइन इस हालत में कैसे पहुंच गई?
30 दिनों में 1400 उड़ानें रद्द — संकट नया नहीं, गहराता हुआ
भले ही दो दिनों में अचानक से रद्द हुई उड़ानों ने हड़कंप मचा दिया हो, लेकिन वास्तविकता यह है कि इंडिगो पिछले एक महीने से इसी संकट से जूझ रही है। नवंबर में कंपनी को 1200 से अधिक उड़ानें रद्द करनी पड़ी थीं। दिसंबर के पहले ही सप्ताह में यह संख्या 400 तक पहुँची। यानी यात्रियों की नाराजगी धीरे–धीरे बढ़ रही थी और यह असंतोष अब विस्फोट की तरह सामने आ चुका है। मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों के एयरपोर्ट पर बुधवार सुबह अफरा-तफरी मची रही। यात्रियों ने शिकायत की कि उन्हें न तो पहले सूचना मिली और न ही विकल्प दिए गए। किसी की बिजनेस मीटिंग छूट गई, किसी का पारिवारिक समारोह, तो कोई छुट्टियों का प्लान खराब होने से निराश दिखा।
सोशल मीडिया पर यात्रियों का फूटा गुस्सा
टर्मिनल पर घंटे भर इंतजार कर रहे लोग सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर करते दिखे। कुछ यात्रियों ने वीडियो पोस्ट कर बताया कि काउंटर पर केवल दो कर्मचारी मौजूद थे और लाइन में सैकड़ों लोग खड़े थे। कई ने लिखा कि इंडिगो जैसी भरोसेमंद एयरलाइन आखिर अचानक इतनी ‘अनरिलायबल’ कैसे बन गई? इंडिगो के संकट की जड़ में है — क्रू की कमी।
DGCA द्वारा 1 नवंबर से लागू नए पायलट ड्यूटी नियमों ने एयरलाइन की रीढ़ कहे जाने वाले क्रू रोस्टर को अस्त-व्यस्त कर दिया।
- पायलटों के उड़ान भरने के घंटे घटाए गए
- रात में उड़ानों की सीमा तय की गई
- लंबी आराम अवधि अनिवार्य की गई
यानी परिचालन सुरक्षा बढ़ाने वाले ये नियम इंडिगो के अति–तंग और अत्यधिक उपयोग आधारित संचालन मॉडल पर भारी पड़ गए। यह एयरलाइन मिनट–मिनट के हिसाब से शेड्यूल चलाती है और ऐसे में क्रू की कमी ने पूरे तंत्र को तोड़ दिया। सूत्रों के अनुसार, नए नियमों के बाद इंडिगो को रोजाना 15–20% अधिक पायलटों की जरूरत पड़ने लगी। लेकिन इतने कम समय में एयरलाइन अतिरिक्त क्रू तैयार नहीं कर सकी।
तकनीकी खराबियाँ और एयरपोर्ट सिस्टम की विफलता
इस संकट को और बढ़ा दिया दिल्ली और पुणे एयरपोर्ट पर मंगलवार को आई तकनीकी गड़बड़ियों ने। चेक-इन और डिपार्चर सिस्टम में खराबी ने एक घंटे का समय खा लिया लेकिन इतनी देरी भी विशाल नेटवर्क पर भारी पड़ती है। इंडिगो की एक उड़ान लेट होने का मतलब होता है पूरा शेड्यूल ढहना। यही हुआ।
सर्दियों का मौसम और बढ़ती यात्रियों की भीड़
दिसंबर की शुरुआत से यात्रियों की संख्या बढ़ जाती है।
- छुट्टियां
- पर्यटन सीजन
- कोहरे की शुरुआत
इन सभी वजहों से उड़ानों में देरी बढ़ने लगी। इंडिगो का शेड्यूल पहले ही बहुत कसा हुआ है, ऐसे में छोटी गड़बड़ी भी बड़े संकट में बदल गई। एयर इंडिया, विस्तारा और अकासा जैसे एयरलाइंस की उड़ानें कम होती हैं और रात की उड़ानें भी सीमित। इसलिए नए नियमों का असर उन पर कम पड़ा। वहीं इंडिगो अधिकतम उपयोग के मॉडल पर काम करती है, जहां क्रू की जरा सी कमी भी पूरे नेटवर्क को चरमरा देती है।
सरकार और DGCA सख्त, रिपोर्ट तलब
इतने व्यापक परिचालन संकट के बाद DGCA ने इंडिगो से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। सरकार भी स्थिति पर नजर बनाए हुए है। इंडिगो देश के एविएशन मार्केट का लगभग 60% हिस्सा नियंत्रित करती है, इसलिए उसकी कमजोरियां पूरे सेक्टर को प्रभावित कर रही हैं।
क्या हालात जल्द सुधरेंगे?
इंडिगो ने दावा किया है कि अगले कुछ दिनों में शेड्यूल स्थिर हो जाएगा।
- नाइट उड़ानें कम की जा रही हैं
- नया स्टाफ रोस्टर लागू किया जा रहा है
- कुछ उड़ानें पहले से ही एडवांस में रद्द की जा रही हैं
लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि पूरा सिस्टम सामान्य होने में कई हफ्ते लग सकते हैं।