KNEWS DESK- 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को भारत प्रत्यर्पित किए जाने से पहले उसके वकील ने यूएस स्टेट सेक्रेटरी मार्को रुबियो को एक विस्तृत ईमेल भेजकर इस प्रक्रिया को रोकने की अपील की थी। सूत्रों के मुताबिक, इस ईमेल की ट्रेल अब एक्सेस की गई है, जिसमें राणा के वकील ने जनवरी 2025 में चार प्रमुख दलीलें देकर प्रत्यर्पण को चुनौती दी थी।
हालांकि, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट और सरकार ने सभी दलीलों को खारिज करते हुए भारत के पक्ष में फैसला सुनाया और 10 अप्रैल 2025 को राणा को भारत लाया गया, जहां फिलहाल वह NIA की 18 दिन की कस्टडी में है।
सूत्रों की मानें तो राणा के वकील ने जनवरी में US स्टेट डिपार्टमेंट को मेल किया था, जिसका जवाब खुद सेक्रेटरी मार्को रुबियो के कार्यालय से आया। जवाब में कहा गया: “भारत यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन अगेंस्ट टॉर्चर पर हस्ताक्षर कर चुका है, और उसने आश्वासन दिया है कि तहव्वुर राणा के साथ कोई अमानवीय व्यवहार नहीं किया जाएगा।” लेकिन यह सफाई अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को प्रभावित नहीं कर सकी।
1. पहले अमेरिका में बरी हो चुका है राणा
वकील ने तर्क दिया कि राणा पहले ही अमेरिकी अदालत में ट्रायल फेस कर चुका है और बरी हो चुका है। ऐसे में उसे भारत भेजना “डबल जेपर्डी” जैसा मामला होगा, और यह अमेरिका की न्यायिक प्रणाली पर सवाल खड़ा कर सकता है।
2. हेडली को सजा, राणा को नहीं – फिर दोबारा ट्रायल क्यों?
राणा के वकील ने याद दिलाया कि डेविड हेडली, जो मुंबई हमले का मुख्य साजिशकर्ता था, उसे अमेरिकी कोर्ट ने दोषी ठहराया, जबकि राणा को बरी किया गया था। ऐसे में राणा को भारत में फिर से ट्रायल के लिए भेजना गैरवाजिब है।
3. भारत में मुस्लिमों पर अत्याचार का दावा
इस मेल में राणा के वकील ने भारत में अल्पसंख्यकों, खासकर मुस्लिमों के साथ कथित टॉर्चर और भेदभाव का मुद्दा उठाया। वकील ने दावा किया कि राणा पाकिस्तान मूल का मुस्लिम है, और भारत में उसके साथ टॉर्चर और मानवाधिकार हनन की आशंका है।
4. स्वास्थ्य खराबी को बताया खतरा
आखिरी दलील राणा की गिरती सेहत पर आधारित थी। वकील ने कहा कि बीते पांच वर्षों से उसकी सेहत लगातार बिगड़ रही है और हाल ही में उसे कुछ गंभीर बीमारियों का डायग्नोस हुआ है। ऐसे में उसे भारत भेजना उसकी जान को खतरे में डाल सकता है।
इन सभी तर्कों के बावजूद, यूएस कोर्ट और स्टेट डिपार्टमेंट ने भारत के पक्ष में फैसला दिया। उन्हें भारत की ओर से दी गई गारंटी और सबूत अधिक ठोस लगे। नतीजतन, 10 अप्रैल की रात तहव्वुर राणा को भारत लाया गया, और दिल्ली की कोर्ट में आधी रात को पेश किया गया, जहां से उसे NIA की हिरासत में भेजा गया।
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