KNEWS DESK- बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर उठे विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत ने निर्वाचन आयोग को इस प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने से तो इनकार कर दिया, लेकिन कड़े सवालों के घेरे में भी ले लिया।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने स्पष्ट किया कि गैर-नागरिकों को मतदाता सूची से हटाना आवश्यक है, लेकिन चुनाव से ठीक पहले ऐसी प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।
पीठ ने कहा, “मतदाता सूची को शुद्ध करना गलत नहीं है, लेकिन जब यह काम चुनाव से कुछ ही महीने पहले किया जाता है, तब इसकी मंशा और निष्पक्षता पर प्रश्न उठ सकते हैं।”
वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी कि जनप्रतिनिधित्व कानून में पुनरीक्षण की अनुमति जरूर है, लेकिन वर्तमान में जो प्रक्रिया अपनाई जा रही है, उसमें 7.9 करोड़ लोगों की समीक्षा की जा रही है और आधार कार्ड व मतदाता पहचान पत्र जैसे वैध दस्तावेजों को स्वीकार नहीं किया जा रहा। उन्होंने कहा, “यह न सिर्फ़ प्रक्रिया को कठिन बना रहा है, बल्कि करोड़ों लोगों के मतदान अधिकार को खतरे में डाल रहा है।”
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर 10 से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई हैं। प्रमुख याचिकाकर्ता हैं:
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एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR)
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राजद सांसद मनोज झा
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टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा
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कांग्रेस नेता के. सी. वेणुगोपाल
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एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले
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भाकपा महासचिव डी. राजा
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सपा नेता हरिंदर सिंह मलिक
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शिवसेना (उबाठा) से अरविंद सावंत
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झारखंड मुक्ति मोर्चा के सरफराज अहमद
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भाकपा (माले) से दीपांकर भट्टाचार्य
इन सभी नेताओं ने निर्वाचन आयोग के आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया है।
चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ताओं राकेश द्विवेदी, केके वेणुगोपाल और मनिंदर सिंह ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि “निर्वाचन आयोग का उद्देश्य केवल यह सुनिश्चित करना है कि वोटर लिस्ट में कोई भी अवैध या फर्जी नाम न हो। यह प्रक्रिया लोकतंत्र की शुद्धता बनाए रखने के लिए जरूरी है।”
क्या है SIR प्रक्रिया?
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SIR यानी Special Intensive Revision एक गहन मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया है
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इसमें दस्तावेजों के ज़रिए यह जांच की जाती है कि मतदाता नागरिक है या नहीं
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इस बार यह प्रक्रिया बिहार में चुनाव से कुछ महीने पहले शुरू की गई, जिससे विवाद बढ़ गया