KNEWS DESK – कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर “सरेंडर मोदी” कहे जाने के बाद सियासी बवाल तेज हो गया है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने राहुल के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और एक लंबे ट्वीट थ्रेड के जरिए कांग्रेस पार्टी को भारत के इतिहास में हुई कथित रणनीतिक चूकों और आत्मसमर्पणों की याद दिलाई है।
सीएम सरमा ने अपने ट्वीट में लिखा कि, “राहुल गांधी ने ऑपरेशन सिंदूर की बड़ी सफलता के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘सरेंडर मोदी’ कहकर मजाक उड़ाया है। ये दुर्भाग्यपूर्ण है और राष्ट्रीय गौरव का अपमान है।”
https://x.com/himantabiswa/status/1930597423577284786
उन्होंने आगे लिखा, “भारत अब झुकता नहीं, उरी में जवाब देता है, बालाकोट में घुसकर मारता है, गलवान में डटा रहता है और दुनिया में नेतृत्व करता है। यह ‘नया भारत’ है – जो अब माफी नहीं मांगता, बल्कि एक्शन में यकीन करता है।”
हिमंत सरमा ने कांग्रेस को गिनाया “आत्मसमर्पण का इतिहास”
मुख्यमंत्री सरमा ने कांग्रेस को उसके तथाकथित आत्मसमर्पण भरे फैसलों की याद दिलाते हुए कई ऐतिहासिक घटनाओं का जिक्र किया:
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1947-48 – पीओके पर चूक: कश्मीर युद्ध के दौरान पंडित नेहरू द्वारा सेना को रोकना और मामला यूएन ले जाना, जिससे पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) अस्तित्व में आया।
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1962 – अक्साई चिन चीन को सौंपा: बिना लड़े 38,000 वर्ग किमी भारतीय भूमि चीन के पास चली गई। सरमा ने याद दिलाया कि नेहरू ने असम को लेकर भी नकारात्मक बयान दिए थे।
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1971 – 93,000 पाकिस्तानी कैदी के बावजूद पीओके वापस नहीं लिया: सरमा ने इसे “सैन्य जीत को कूटनीतिक हार” में बदलने का उदाहरण बताया।
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2008 – मुंबई 26/11 के बाद निष्क्रियता: पाक प्रायोजित आतंकवाद पर कांग्रेस की चुप्पी को “कायरता” करार दिया।
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2009 – शर्म-अल-शेख समझौता: बलूचिस्तान मुद्दे को भारत के संयुक्त बयान में शामिल कर पाकिस्तानी एजेंडा मान्यता दी।
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2012 – सर क्रीक क्षेत्र सौंपने की कथित योजना: जिसे गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोका।
“कांग्रेस अब सेना पर सवाल उठा रही है”
सीएम सरमा ने राहुल गांधी पर आरोप लगाया कि कांग्रेस अब सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयरस्ट्राइक जैसे रणनीतिक सैन्य अभियानों पर भी सवाल उठा रही है, सेना को कटघरे में खड़ा कर रही है और विदेशी नैरेटिव को देश में फैला रही है।
उन्होंने सवाल किया, “क्या ऐसे मजबूत और निर्णायक प्रधानमंत्री को ‘सरेंडर मोदी’ कहने का हक उन्हें है, जिन्होंने भारत की एकता, संप्रभुता और गरिमा को अक्षुण्ण बनाए रखा है?”
असम के सीएम ने यह भी आरोप लगाया कि नेहरू असम को लेकर कभी गंभीर नहीं थे और 1962 में तो वह चीन को असम सौंपने के लिए भी तैयार थे। सरमा ने कहा कि कांग्रेस सरकारों ने पूर्वोत्तर को ‘चिकन नेक’ पर लटकने के लिए छोड़ दिया था।