किसान संगठनों ने दिल्ली कूच फिर किया स्थगित, शंभू बॉर्डर से आगे बढ़ने की बना रहे रणनीति

KNEWS DESK, पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच के लिए आगे बढ़ रहे किसानों को पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागकर और पानी की बौछारें करके आगे नहीं बढ़ने दिया। जिससे वे शंभू बॉर्डर पर ही जमे हुए हैं और आगे की रणनीति बना रहे हैं।

रविवार दोपहर को पंजाब-हरियाणा सीमा पर स्थित शंभू बॉर्डर से 101 किसानों के जत्थे ने दिल्ली कूच करने का ऐलान किया था, लेकिन पुलिस ने उन्हें सीमा पर ही रोक दिया। सुरक्षाबलों ने पहले प्रदर्शनकारी किसानों पर फूल बरसाए और उन्हें पानी पिलाया, लेकिन जब वे बैरिकेड्स तक पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी की बौछार की। इसके परिणामस्वरूप किसान पीछे हटने को मजबूर हो गए। बाद में किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने घोषणा की कि किसानों को वापस बुला लिया गया है और वे बैठक करके आगे की रणनीति तय करेंगे।

इससे पहले शुक्रवार को भी किसान संगठन दिल्ली की ओर कूच कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़कर उन्हें तितर-बितर कर दिया था, जिसमें 16 किसान घायल हो गए थे। उस समय भी किसानों ने दिल्ली कूच स्थगित कर दिया था। रविवार को हुए संघर्ष में किसानों का दावा है कि रुक-रुक कर आंसू गैस के गोले छोड़े गए, जिससे पांच किसान जख्मी हो गए। इसके बाद किसान शंभू बॉर्डर पर ही जुटे हुए हैं और आगे की योजना पर चर्चा कर रहे हैं। किसानों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें बिना कारण उकसाया और उनकी सुरक्षा के बजाय हमलावर तरीके से कार्रवाई की। गैस के गोले के असर से कई किसान पीछे हट गए थे, जिनमें से कई ने अपने चेहरे ढके हुए थे और सुरक्षात्मक चश्मा पहना था। कुछ किसानों ने गीले जूट के बैग से आंसू गैस के गोले को ढकने की कोशिश की, जबकि एक प्रदर्शनकारी घायल हो गया और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया।

किसान नेताओं का कहना है कि उनका आंदोलन 300 दिनों तक जारी है। पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर किसान संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले 13 फरवरी से डेरा डाले हुए हैं, जब सुरक्षा बलों ने दिल्ली की ओर उनका मार्च रोक दिया था। वहीं किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि वे किसानों के साथ बैठक करेंगे और बाद में इस आंदोलन को लेकर आगे का फैसला लेंगे। उनके मुताबिक यह संघर्ष किसानों के अधिकारों के लिए जारी रहेगा और पुलिस की कार्रवाई के बावजूद उनका संघर्ष और भी मजबूत होगा।

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