KNEWS DESK, प्रवर्तन निदेशालय ने महाराष्ट्र और गुजरात में एक बड़ी छापेमारी की कार्रवाई को अंजाम दिया है। यह छापेमारी फर्जी दस्तावेजों और फेक KYC के जरिए बड़ी संख्या में बैंक अकाउंट्स खोलने के मामले में की गई है। ED की टीम ने दोनों राज्यों में कुल 23 स्थानों पर छापे मारे हैं, जिनमें प्रमुख रूप से गुजरात के अहमदाबाद, सूरत, नासिक और महाराष्ट्र के मालेगांव, मुंबई शामिल हैं।
यह मामला एक बड़े फर्जीवाड़े से जुड़ा हुआ है जिसमें आरोपियों ने गरीब और निचले वर्ग के लोगों को लालच देकर उनके दस्तावेजों का उपयोग कर बैंक अकाउंट्स खुलवाए थे। जानकारी के मुताबिक इस गिरोह के मास्टरमाइंड सिराज अहमद हैं, जो चाय और कोल्ड ड्रिंक की एजेंसी चलाते हैं। सिराज अहमद ने अपने संपर्कों के जरिए इन लोगों से उनके दस्तावेज प्राप्त किए और फर्जी तरीके से बैंक अकाउंट्स खोले।
ED के सूत्रों के अनुसार इस फर्जीवाड़े में कुल 14 बैंक अकाउंट्स खोले गए थे और इन खातों के माध्यम से 2200 से ज्यादा ट्रांजेक्शन किए गए थे। इन ट्रांजेक्शनों में कुल 112 करोड़ रुपये का क्रेडिट हुआ, जबकि डेबिट साइड पर 315 ट्रांजेक्शन हुए। यह पूरी प्रक्रिया मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध फंड ट्रांसफर के एक बड़े नेटवर्क से जुड़ी हुई है। मुम्बई की ED टीम ने मालेगांव, नासिक और अन्य स्थानों पर बैंक अकाउंट्स खोलने और फिर बेनामी खातों से 100 करोड़ रुपये से ज्यादा के फंड को ट्रांसफर करने के मामले में कार्रवाई की है। इन अकाउंट्स में मनी लॉन्ड्रिंग के संकेत मिल रहे हैं और यह भी शक जताया जा रहा है कि इन फंड्स का अवैध उपयोग कई अन्य राज्यों में किया जा सकता है।
सिराज अहमद और अन्य आरोपियों ने जो अकाउंट्स खोले थे, उनमें से कई बेनामी खाते थे जिनका इस्तेमाल भारी मात्रा में धन की अवैध ट्रांजेक्शन के लिए किया गया। ED ने इन अकाउंट्स की पूरी जांच शुरू कर दी है और अब आरोपियों से जुड़े परिसरों पर छापेमारी कर रही है ताकि इस फर्जीवाड़े और मनी लॉन्ड्रिंग के नेटवर्क का पर्दाफाश किया जा सके। सिराज अहमद ने इन अकाउंट्स को खोलने के बाद इन लोगों को एपीएमसी (आज़ादपुर मंडी) में नौकरी दिलाने का वादा किया था। हालांकि आरोपियों ने जब इन खातों का इस्तेमाल किया, तो लाखों रुपये के ट्रांजेक्शन के साथ-साथ तुरंत ही पैसे निकालने की घटनाएं सामने आईं। ED अब इन फंड ट्रांसफरों और खाता खोलने की प्रक्रिया में शामिल लोगों की भूमिका की जांच कर रही है। केंद्रीय एजेंसी का मानना है कि इस फर्जीवाड़े के जरिए कई राज्यों में अवैध धन का उपयोग किया गया है, और यह एक बड़े मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क का हिस्सा हो सकता है।