नागपुर में भावुक हुए CJI बीआर गवई, बोले- पिता का सपना पूरा करने के लिए बने जज

KNEWS DESK-  देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में आयोजित नागपुर बार एसोसिएशन के एक विशेष कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई अपने पुराने दिनों को याद करते हुए भावुक हो गए। मंच से भाषण देते समय उन्होंने अपने पिता के अधूरे सपनों, कठिन संघर्ष और डॉ. आंबेडकर से उनके जुड़ाव का उल्लेख करते हुए कहा कि वे खुद तो आर्किटेक्ट बनना चाहते थे, लेकिन पिता का सपना पूरा करने के लिए उन्होंने कानून का रास्ता चुना।

जस्टिस गवई ने बताया, “मैं वास्तुकार बनना चाहता था, लेकिन मेरे पिता की इच्छा थी कि मैं कानून की पढ़ाई करूं। वह खुद वकील बनना चाहते थे, लेकिन आज़ादी की लड़ाई में भाग लेने के कारण जेल चले गए और उनका सपना अधूरा रह गया। मैंने तय किया कि मैं उनकी इच्छा पूरी करूंगा।”

उन्होंने यह भी कहा कि उनके माता-पिता ने विपरीत परिस्थितियों में उनका पालन-पोषण किया। “मेरे पिता ने अपना जीवन डॉ. आंबेडकर की सेवा को समर्पित कर दिया था। उनके जेल जाने के बाद मेरी मां और चाची ने हमारी जिम्मेदारी संभाली। उनका संघर्ष आज भी मुझे प्रेरणा देता है।”

सीजेआई गवई ने बताया कि उनके पिता ने 2015 में दुनिया को अलविदा कह दिया, लेकिन उससे पहले उन्होंने एक भविष्यवाणी की थी — कि उनका बेटा एक दिन भारत का मुख्य न्यायाधीश बनेगा। “जब मुझे उच्च न्यायालय में जज बनाए जाने की सिफारिश की गई, तब मेरे पिता ने कहा था – अगर तुम सिर्फ वकील रहोगे, तो पैसा कमाओगे, लेकिन अगर तुम जज बनोगे, तो समाज की सेवा करोगे, आंबेडकर के रास्ते पर चलोगे। आज वह इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी कही बात सच हुई।” उन्होंने कहा कि पिता की यह इच्छा आज पूरी हुई है और उन्हें संतोष है कि उनकी मां आज भी जीवित हैं और इस क्षण की साक्षी बन रही हैं।

सीजेआई गवई ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी न्यायिक सोच और सामाजिक दृष्टिकोण में डॉ. भीमराव आंबेडकर की विचारधारा की गहरी छाप रही है। “मैं जिस कुर्सी पर बैठा हूं, वह सिर्फ पद नहीं है, यह जिम्मेदारी है — समाज में न्याय और समानता की स्थापना की। मेरे पिता और डॉ. आंबेडकर का जो सपना था, उसे पूरी ईमानदारी से निभाने की कोशिश कर रहा हूं।”

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