जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव की तैयारी में केंद्र, मानसून सत्र में पेश किया जा सकता है प्रस्ताव

KNEWS DESK- केंद्र सरकार दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ संसद के आगामी मानसून सत्र में महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी में है। यह कदम उस वक्त उठाया जा रहा है जब वर्मा ‘कैश कांड’ को लेकर गंभीर आरोपों में घिरे हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक, सरकार इस मुद्दे पर विपक्षी दलों से समर्थन जुटाने में लगी हुई है और उसे संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत मिलने की पूरी उम्मीद है।

क्या है मामला?

14 मार्च की रात जस्टिस यशवंत वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित सरकारी आवास में आग लगने की घटना सामने आई थी। इस दौरान 500-500 रुपये के जले हुए नोटों के बंडल बरामद होने की खबर सामने आई, जिसके बाद यह मामला सुर्खियों में आ गया। इसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय ने प्रारंभिक जांच के आदेश दिए और वर्मा से न्यायिक कार्य वापस ले लिया गया, साथ ही उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया।

सूत्रों के अनुसार, एक आंतरिक जांच समिति ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ रिपोर्ट तैयार की जिसे भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को सौंपा गया। इसके बाद CJI ने यह रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजी और महाभियोग प्रस्ताव लाने की सिफारिश की, क्योंकि जस्टिस वर्मा ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था।

महाभियोग प्रक्रिया कैसे काम करती है?

भारतीय संविधान के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के किसी भी जज को सिर्फ दो आधारों पर हटाया जा सकता है:

  1. भ्रष्टाचार (Misconduct)

  2. अक्षमता (Incapacity)

महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए-

  • लोकसभा में कम से कम 100 सांसद और

  • राज्यसभा में कम से कम 50 सांसदों का समर्थन आवश्यक होता है।

प्रस्ताव स्वीकार होने पर तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की जाती है, जिसमें एक सुप्रीम कोर्ट जज, एक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस, और एक सीनियर ज्यूरिस्ट शामिल होते हैं। यदि समिति जज को दोषी पाती है, तो संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित करना होता है, जिसके बाद यह प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेजा जाता है। राष्ट्रपति जज को हटाने का अंतिम निर्णय लेते हैं।

भारत में अब तक 5 बार बैठे हुए जजों के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू की गई है, लेकिन कोई भी प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई।
आखिरी बार 2011 में जस्टिस सौमित्र सेन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव राज्यसभा से पास हुआ था, लेकिन लोकसभा में पेश होने से पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।

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