KNEWS DESK- जम्मू-कश्मीर में स्थित बाबा अमरनाथ यात्रा की शुरुआत शनिवार, 29 जून से हो रही है। इसके लिए तत्काल पंजीकरण की सुविधा 26 जून से उपलब्ध है। यह यात्रा आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होने वाली बाबा अमरनाथ की यात्रा श्रावण पूर्णिमा तक चलती है । इस दौरान लाखों शिवभक्त बाबा के दरबार में आकर उनकी महिमा का अनुभव करते हैं। पंजीकरण के लिए शिवभक्तों को आधार कार्ड, पासपोर्ट, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस, और पासपोर्ट साइज फोटो की जरूरत होगी।
जानें क्यों खास है अमरनाथ धाम
अमरनाथ धाम भगवान शिव के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। यहाँ महादेव के दुर्लभ और प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन होते हैं। अमरनाथ की पवित्र गुफा में भोलेनाथ बर्फ के शिवलिंग रूप में कब से विराजमान हैं और भक्त कब से उनके दर्शन के लिए आ रहे हैं, इसका कोई लिखित प्रमाण उपलब्ध नहीं है। किंवदंतियों के अनुसार, यह गुफा किसी कारणवश स्मृतियों से लुप्त हो गई थी और लगभग डेढ़ सौ साल पहले इसे पुनः खोजा गया।
अमरनाथ यात्रा का हर पड़ाव तीर्थ के महत्व की कहानी कहता है। हर साल प्राकृतिक रूप से बनने वाले शिवलिंग के दर्शन के लिए देशभर से हजारों श्रद्धालु कश्मीर आते हैं। श्रद्धालुओं की सेवा के लिए श्राइन बोर्ड कई प्रकार की तैयारियाँ करता है। सेवा में लगे सेवादार विभिन्न स्थानों पर लंगर का आयोजन करते हैं। बर्फ हटाने से लेकर विभिन्न पड़ावों पर श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था की जाती है। इसके बावजूद, यात्रा की चुनौतियाँ खत्म नहीं होतीं।
कैसे प्रकट होते हैं बाबा बर्फानी?
बाबा बर्फानी, जो भगवान शिव का प्रतीक माने जाते हैं, अमरनाथ गुफा में बर्फ के शिवलिंग के रूप में प्रकट होते हैं। यह शिवलिंग हर साल प्राकृतिक रूप से बनता है। अमरनाथ गुफा हिमालय की ऊँचाई पर स्थित है, जहाँ सर्दियों में तापमान बेहद कम हो जाता है। गुफा की छत से टपकने वाली पानी की बूंदें धीरे-धीरे जम जाती हैं, जिससे बर्फ का शिवलिंग बनना शुरू हो जाता है। यह प्रक्रिया श्रावण माह की पूर्णिमा तक जारी रहती है, जब शिवलिंग अपने पूर्ण आकार में होता है। जैसे-जैसे मौसम गरम होने लगता है, शिवलिंग का आकार घटने लगता है। भक्तजन इसे भगवान शिव की कृपा और चमत्कार मानते हैं और हर साल इसके दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बाबा बर्फानी का यह प्रकट होना भगवान शिव की दिव्य उपस्थिति का प्रतीक है।