KNEWS DESK- दिल्ली उच्च न्यायालय के पीठाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के घर बीती 12 मार्च को हुए आग कांड और फिर भारी मात्रा में कैश बरामदगी के बाद जनता के बीच जजों के प्रति भ्रष्टाचार की आशंकाओं से चिंतित सुप्रीम कोर्ट ने सीजेआई संजीव खन्ना समेत सभी जजों को अपनी चल-अचल संपत्तियां सार्वजनिक करने का ऐलान किया है।
1 अप्रैल 2025 को हुई बैठक में ये फैसला किया गया कि सभी जज मुख्य न्यायाधीश के समक्ष अपनी समस्त संपत्तियों का ब्यौरा देंगे। सभी जजों की घोषित संपत्तियों को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट में भी डाला जाएगा, जिससे लोगों के बीच जजों के भ्रष्टाचार से मुक्त होने का संदेश जा सके।

आपको बता दें कि इससे पूर्व भी जजों को अपनी संपत्तियों को सार्वजनिक करके वेवबसाइट में डालने का प्रावधान था पर ये प्रावधान सिर्फ ऐच्छिक था और जजों ऊपर निर्भर था, लेकिन इसबार सभी जजों को अनिवार्य तौर पर अपनी संपत्ति सार्वजनिक करके वेबसाइट में डालना होगा।
मौजूदा समय में सीजेआई सहित सुप्रीम कोर्ट में कुल 30 जजों ने अपनी संपत्तियों का ब्योरा सार्वजनिक किया है। इनमें जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस अभय एस ओक, जस्टिस जेके माहेश्वरी, जस्टिस बीवी नागरत्ना जैसे जज शामिल हैं।
क्या था जस्टिस यशवंत वर्मा मामला
14 मार्च 2025 को जस्टिस यशवंत वर्मा के नई दिल्ली स्थित सरकारी आवास (30, तुगलक क्रेसेंट) के एक स्टोररूम में आग लग गई। आग बुझाने के लिए पहुंची फायर ब्रिगेड की टीम ने वहां कथित तौर पर बड़ी मात्रा में नकदी देखी, जो आंशिक रूप से जली हुई थी। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, यह राशि करीब 15 करोड़ रुपये की हो सकती है, जो जूट की बोरियों में रखी गई थी। इस घटना ने न्यायपालिका और जनता के बीच व्यापक बहस छेड़ दी।
जस्टिस वर्मा उस समय भोपाल में थे, और उनके परिवार ने फायर ब्रिगेड और पुलिस को सूचित किया था। आग बुझने के बाद नकदी की खबर सामने आई, जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना को सूचित किया। सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत इस मामले को गंभीरता से लिया और 22 मार्च 2025 को तीन सदस्यीय इन-हाउस जांच समिति गठित की, जिसमें पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जी.एस. संधावालिया, और कर्नाटक हाई कोर्ट की जज अनु शिवरामन शामिल हैं। इस समिति को मामले की तथ्यात्मक जांच करने का जिम्मा सौंपा गया।
इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा को दिल्ली हाई कोर्ट से उनके मूल कोर्ट, इलाहाबाद हाई कोर्ट, में स्थानांतरित करने की सिफारिश की, जिसे केंद्र सरकार ने 28 मार्च 2025 को मंजूरी दे दी। हालांकि, उन्हें अभी तक कोई न्यायिक कार्य नहीं सौंपा गया है, और जांच पूरी होने तक वे सुनवाई से दूर हैं। जस्टिस वर्मा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि यह नकदी उनकी या उनके परिवार की नहीं है, और उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है।
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