KNEWS DESK- तृणमूल कांग्रेस (TMC) की आंतरिक खींचतान अब सार्वजनिक लड़ाई में बदलती जा रही है। पार्टी के दो प्रमुख चेहरे — वरिष्ठ सांसद कल्याण बनर्जी और फायरब्रांड नेता महुआ मोइत्रा — एक बार फिर आमने-सामने हैं। इस बार यह टकराव एक संवेदनशील मुद्दे, कोलकाता लॉ कॉलेज गैंगरेप केस, पर टिप्पणी से शुरू हुआ, लेकिन देखते ही देखते यह निजी आरोपों और कटाक्षों तक पहुंच गया।
कोलकाता लॉ कॉलेज में हुई गैंगरेप की घटना पर टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी के बयान ने विवाद खड़ा कर दिया था। उन्होंने कहा था कि महिलाओं को यह देखना चाहिए कि वे किन लोगों के साथ घूम रही हैं। इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर आलोचना हुई और पार्टी ने भी इसे ‘व्यक्तिगत राय’ कहकर किनारा कर लिया। इसी पर प्रतिक्रिया देते हुए महुआ मोइत्रा ने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “महिलाओं के प्रति घृणा पार्टी लाइन से परे है। TMC को जो अलग करता है, वह यह है कि हम ऐसी घृणित टिप्पणियों की निंदा करते हैं।”
महुआ की आलोचना के जवाब में कल्याण बनर्जी ने तीखा पलटवार किया और इस बार सीमाएं लांघते हुए महुआ के निजी जीवन पर टिप्पणी कर दी। उन्होंने दावा किया कि महुआ ने बीजू जनता दल के पूर्व सांसद पिनाकी मिश्रा के साथ विवाह कर एक 40 साल पुराना परिवार तोड़ दिया। कल्याण ने कहा, “उन्होंने एक महिला की शादी तुड़वा दी और खुद 65 साल के व्यक्ति से शादी कर ली। क्या यह महिला विरोध नहीं है?”
इतना ही नहीं, कल्याण ने महुआ पर यह भी आरोप लगाया कि वे अपने निर्वाचन क्षेत्र कृष्णनगर में किसी भी महिला नेता को उभरने नहीं देतीं और नारीवाद की आड़ में राजनीतिक फायदे उठाती हैं। उन्होंने कहा, “भारत में मेरी एकमात्र महिला महुआ मोइत्रा है – जिससे मैं द्वेष करता हूं।”
कल्याण बनर्जी की इन तीखी और निजी टिप्पणियों से न सिर्फ पार्टी के भीतर असहजता बढ़ी है बल्कि एक बार फिर यह सवाल उठ रहा है कि TMC नेतृत्व आंतरिक मतभेदों को कैसे संभाल रहा है। इससे पहले भी दोनों नेताओं के बीच सार्वजनिक रूप से विवाद हुआ था, लेकिन इस बार बहस निजी हमलों तक पहुंच गई है।
इस पूरे विवाद में TMC विधायक मदन मित्रा का भी नाम सामने आया है। उन्होंने भी पीड़िता पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि अगर वह अकेली कॉलेज नहीं जाती तो यह घटना टल सकती थी। पार्टी ने उनके बयान से भी दूरी बना ली है। तृणमूल कांग्रेस के लिए यह पूरा घटनाक्रम एक बड़ी राजनीतिक और नैतिक चुनौती बन चुका है। एक ओर जहां पार्टी खुद को महिला सशक्तिकरण की समर्थक बताती है, वहीं दूसरी ओर वरिष्ठ नेताओं के ऐसे बयानों से उसकी छवि को गहरा आघात पहुंच रहा है। अब निगाहें पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी पर हैं कि वह इस विवाद पर क्या रुख अपनाती हैं।
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