प्रदेश की नदियां उफान पर हैं जिससे कई शहरों में पानी से समस्या खड़ी हो गई है। इटावा में तो शहर के अन्दर घुसे पानी से जनजीवन पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो चुका है। सड़क पर मौजूद वाहन पानी में डूब गए हैं तो वककहीं बाढ़ ने सीएम योगी के संसदीय क्षेत्र गोरखपुर को भी नहीं बख्शा। गोरखपुर में कई मोहल्लों में पानी भरा तो लोग घरों में कैद हो गए। इसके साथ ही प्रमुख जिले से दूसरे जिले को जोड़ने वाली मुख्य सड़क भी कमर तक डूब गई। ये सड़क गोरखपुर से देवरिया मार्ग को जोड़ती है। यही नहीं गोरखपुर से देवरिया सलेमपुर होते हुए बिहार, यानी कि दूसरे राज्य तक ये सड़क जाती है। आप तस्वीरों में साफ देख सकते हैं कि इस सड़क पर किस तरह से कमर तक पानी भरा हुआ है। अब अगर ये कहा जाए गोरखपुर में विकास की गंगा बहुत तेजी से बह रही है तो ये कहां तक सही है आप समझ सकते हैं। श्रावस्ती में भी बाढ़ के पानी से भारी आफत खड़ी हो गई है। नेपाल द्वारा पानी छोड़े जाने से राप्ती नदी खतरे के निशान से ऊपर बहने लगी है। कई गांवों का जिला मुख्यालय से संपर्क टूट चुका है।
बारिश का आतंक, घरों मे कैद लोग
आप को बता दें कि गोरखपुर शहर के कई इलाके अब भी जलमग्न हैं। बारिश के पानी का ऐसा आतंक है कि दो दिनों में एनडीआरएफ की टीम को शहर में मोर्चा संभालना पड़ा। आफत की बारिश में विभिन्न इलाकों से 37 लोगों को इनडीआरएफ रेस्क्यू कर चुकी है। वहीं, शहर के कई इलाकों के लोग अब भी जलभराव से जूझ रहे हैं। हालात यह हैं कि अब भी कई इलाकों में लोगों का घरों से निकलना मुश्किल है। वहीं कई लोग पलायन कर अब स्वजनों या रैन बसेरों में रहने को मजबूर हैं। गोरखपुर शहर के कई मोहल्लों में पिछले एक-डेढ़ महीने से हुए जलभराव की स्थिति से इतनी बदतर है कि तकरीबन 500 से ज्यादा परिवार घरों में कैद हैं। शहर के कई इलाकों में जबरदस्त जलभराव है साथ ही गोरखपुर देवरिया मेन रोड भी इसकी गिरफ्त में है। महानगर में जलजमाव की समस्या को लेकर बीआरडी मेडिकल कॉलेज के पास कांग्रेसियों ने बीच रोड पर प्रदर्शन भी किया।
एकमात्र अण्डरपास में फंस जाते हैं वाहन
इटावा शहर में एकमात्र अंडर पास जोकि मैनपुरी फाटक के हावड़ा रेल लाइन के नीचे बना हुआ है। इस अंडरपास से सैफई से होते हुए मैनपुरी जा सकते हैं और आगरा कानपुर का हाईवे भी जुड़ा हुआ है। जब भी मूसलाधार बारिश होती है तो इस अंडरपास में लगभग 5 से 6 फुट पानी भर जाता है। आने जाने वाले वाहनों को इस अंडरपास में पानी की गहराई का अंदाजा नहीं होता है। जिस कारण निजी चार पहिया वाहन, एंबुलेंस, रोडवेज बसें फंस जाती है और डूब जाती है। प्रशासन लगातार अनदेखी करता है।यही नहीं ना ही वहां पर कोई भी चेतावनी बोर्ड या बैरिकेडिंग भी नहीं लगाया जाता। श्रावस्ती में भी हालात बद से बदतर हैं। नेपाल ने फिर राप्ती नदी में पानी छोड़ा है जिसके बाद से राप्ती नदी खतरे के निशान से 25 सेंटीमीटर ऊपर बहकर विकराल रूप ले रही है। आपको बता दें कि चौथी बार नेपाल ने राप्ती में पानी छोड़ा है जिसके बाद से कई गांवों का जिला मुख्यालय से संपर्क टूट चुका है और चारों ओर सैलाब का नजारा दिखाई दे रहा है। लोग पानी सुगुजर कर जाने को मजबूर हैं। लगातार हो रही बारिश और नदियों में पानी छोड़े जाने के बाद से स्थिति काफी भयावह हो चुकी है लेकिन स्थानीय प्रशासन बाढ़ पर नियन्त्रण पाने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है। अब सवाल ये उठता है कि बारिश के बाद ये स्थिति होनी ही है तो पहले से ही प्रशासन तैयारी क्यों नहीं करता।