भारत में बीतें कुछ महीनों पहले पेट्रोल और डीजल के दाम आसमान पर पहुंचे थे, जिसके बाद सरकार ने थोडी राहत दी थी, लेकिन अब बदलने के आसार बठ रहे है। कच्चे तेल की कीमतों के आसमान में पहुंचने के साथ ही इस बात की संभावनाएं पहले से ही जताई जा रही हैं कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी होगी। ये बढ़ोतरी कब और कितनी होगी, यह कहना अभी मुश्किल है।
अब एक ब्रोकरेज फर्म कै अनुमान है कि फिलहाल तेल कंपनियों को घाटा खत्म करने के लिये ईंधन की कीमतों में 9 रुपये प्रति लीटर की बढ़त करने की जरुरत है, यानि कीमतें इसी स्तर पर रहती हैं तो कंपनियां धीरे धीरे पेट्रोल की कीमत 9 रुपये प्रति लीटर बढ़ा सकती है।
110 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंचा ब्रेंट
रूस से तेल की आपूर्ति में व्यवधान की आशंका से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल का दाम 2014 के बाद पहली बार 110 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंच गए। IEA के सदस्य देशों ने अपने स्ट्रेटजिक रिजर्व से 6 करोड़ बैरल तेल को जारी करने का फैसला लिया है. जो कि बाजार के अनुमानों से कम था इसी वजह से कीमतों में उछाल देखने को मिला है।
पीपीएसी की रिपोर्ट के अनुसार-
पीपीएसी के मुताबिक, भारत जो कच्चा तेल खरीदता है उसके दाम एक मार्च को 102 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो गए. ईंधन का यह मूल्य अगस्त 2014 के बाद सबसे ज्यादा हैं. पिछले साल नवंबर की शुरुआत में जब पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि पर लगाम लगी थी, तब कच्चे तेल की औसत कीमत 81.5 डॉलर प्रति बैरल थी।
तेल कंपनियों को हो रहा 5.7 रुपये प्रति लीटर का घाटा-
कच्चे तेल के दाम चढ़ने से सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम को पेट्रोल और डीजल पर 5.7 रुपये प्रति लीटर का घाटा उठाना पड़ रहा है।