नई दिल्ली:(भाषा के इनपुट के साथ): जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में रामनवमी पर हुए विवाद के बीच यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रोफेसर शांतिश्री धूलिपुडी पंडित ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने बुधवार को कहा कि, लोगों में जेएनयू को लेकर एक गलत धारणा है, मैं लोगों की इस धारणा को सही करना चाहती हूं कि हम टुकड़े-टुकड़े.. नहीं हैं. पद जेनएयू में पद संभालने के बाद मैंने किसी को भी इस तरह बात करते नहीं देखा. हम एक राष्ट्रवादी इकाई हैं।
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कुलपति शांति श्री धूलिपुड़ी पंडित ने कहा कि, विश्वविद्यालय में रामनवमी पर कावेरी छात्रावास के मेस के मेनू को लेकर एबीवीपी और वाम समूह के बीच हिंसक झड़प हुई। जेएनयू एक स्वतंत्र विश्वविद्यालय है, हम सभी व्यक्तियों की पसंद का सम्मान करते हैं।
युवा लोगों कीअलग-अलग राय होती है और हम विविधता और असहमति की सराहना करते हैं लेकिन हिंसा का समर्थन नहीं किया जा सकता है. फिलहाल इस मामले में विश्वविद्यालय के अधिकारी घटना की प्रॉक्टोरियल जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं।
उन्होने कहा कि, दरअसल यूनिवर्सिटी में रामनवमी पर हवन कराया जाए या नहीं और खाने के मेन्यू को लेकर विवाद था. ये विवाद छात्रों के दो समूहों में हुआ. इस मामले की प्रॉक्टोरियल जांच के आदेश दे दिए गए हैं और हम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं और मैं यह कहना चाहती हूं कि यह एक निष्पक्ष जांच होगी.
दरअसल 10 अप्रैल को को एबीवीपी और लेफ्ट यूनियन ने एक दूसरे पर चिकन पकाने को लेकर कैंपस में हिंसा भड़काने का आरोप लगाया. सोशल मीडिया पर मारपीट के वीडियो और तस्वीरें शेयर की गईं. वामपंथी समूह ने दावा किया कि रामनवमी पर चिकन पकाने को लेकर एबीवीपी ने वामपंथियों के साथ मारपीट की. एबीवीपी ने दावा किया कि वामपंथी छात्रों ने उनके रामनवमी प्रार्थना समारोह पर हमला किया.
इस बीच जेएनयू के छात्रावास मेस में मांस पहुंचाने वाले मीट विक्रेता ने दावा किया कि कुछ छात्रों ने उसे फोन किया और कहा कि रामनवमी पर विश्वविद्यालय के कावेरी छात्रावास में चिकन की आपूर्ति नहीं की जानी चाहिए.